सत्यार्थ प्रकाश | satyaarth prakash

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satyaarth prakash  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ना वि व: र ह ४ श्रोरेमू न | द् बे खरा हरारे फिर ध्िशिस्रष लक सचिदानन्देर्वराय नमो नमः ध्म्दि डा 3 प अेस्सििये पक सिर कि रे | पथ खत्यार्थवकादर प्र 114 ( ही । कर किसे सेठ दफन घनिपरनकिय कि किये दल ओोश्म शन्नों सिच्रः शं वर्सण। शत्नों दर । शन्न इंद्रो बूडस्पतिं। शन्नो विषण्णुरुसक्रस!। नसो ज्रष्मणे नमस्ते वायो त्वसेव प्रत्यक्ष घ्र्मासि । त्वासेव प्रत्यक्ष घहां घदिष्यामि ऋतं चंदिष्यामि स॒च्य॑ घदिष्यासि तन्मार्सचलु तढ़॒क्तारमवतु । अचतु सामचतु चंक्तारंम ॥ ओं शान्तिर्शान्तिर्सान्ति ॥१॥ झर्थ--( शोदेमू ) यद कार शब्द परसेश्वर का सर्वोसम नाम है: क्योंकि इसमें जो डा, उ शोर मू तीन झच्तर मिलकर पक ( छोदेम ) सससरटर हुमा है' इस एक नाम से परमेश्वर के बहुत नाम श्याजाते हैं, जैसे--श्रकार से विराट, झग्नि और चिश्वादि । उंकार से दिरण्यगमं, चायु और तेजसादि । मकार से ईश्वर, श्यादित्य और म्राज्ादि नामों का वायक 'छर श्राइक है । उसका ऐसा दी वेदादि सव्यशाख्रों में स्पष्ट व्याख्यान किया है कि प्रकरणानुकूल ये सब नाम परमेशर ही के हैं । ( प्रश्न ) परमेश्वर से शिक्न झर्थो के घाचक घिराट्ू ्यादि नाम क्यों नहीं ?




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