अहिंसा - तत्त्व | Ahinsa Tattv

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ahinsa Tattv by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
. हे 3 काई विश्वास अथवा व्यवहार उसके विरूद भी हें । य्यू'कि साम्प्रदायिक चिद्वष से यड़ी द्ानि दोती है, अतपत्र अदिसश के साम्प्रदायिक झ्ार सतमतान्तर के वेमनस्य के दूर करने का झऔर मिशन २ सत के शानुया- यियों में परस्पर मेल, मंतीभाव श्लार एकता स्थापन करने का यत्न अवश्य करना चाहिए । यदि वह स्वयं मेदमाव के त्यागकर परम श्ार स्नेद की टप्टि से सिनन २ मतावसलस्वियों के। देखेगा श्रार उनके साथ एकता श्र खुदधत्ता स्थापन करेग, ता उसका पकता सर मसैली के लिंप यत्न झवशय सफल होगा, झन्यथा नहीं । च्तमा । हिंसा का क्रेवल निपषेघात्मक दी भाव श्रर्धात्‌, केघल हिंसा से निवत्ति दही नहीं है, किन्तु इसका विधि-भाग सी है। श्द्धिखा का पक शंग “क्षमा” है। दि सक के डिसासे केवल विरफ़' दी नहीं होना चादिए किन्तु दूसरे से दि लित, अपमानित, निन्दित दाने पर भी श्रार, यदला लेने की सामथयें रखने पर भी वदले में न झानिष्ट करना व्लाहिप श्रार न ऐसा संक्रत्प खित्त में झाने देना प्वादिए श्ार झसननता से दिखा, अपमान श्रार चिन्दा श्रादि का सा कर लेना च्ादिएप। कघामा के शभ्यास थिना अद्धि सा की पूत्ति हा नहीं सकती है । अहि खक समभझना है कि जा कोई मेरी हानि, श्पकार, निन्‍्दा आदि करता है; घह एक ता झन्ानता




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now