चित्तविलासा भाग २ | Chittavilasa (vol - Ii)
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
90
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कि (1)
1. शोती है धोनी को होनी कर ऐसा है. देच्च!
!. सुन तू मे दोठ भा है, हम दोनों साथ साथ
... वे हैं, हम गो ने साथ साथ नियाधयपर किया है,
साथ साथ सोये हैं, और साथ ही साथ हा पान
किये हैं; पर राजादवी की प्राप्ति मि हू मुम में
अलग रहकर मेरी सेवा तेरा धर्म होता, क्योंकि में
तक से चाु में बढ़ा हूं, हो यह हुआ मुम हे देहा
न नाता, इसपिपे मेने देश का राज़ तेरे निित बोड़
दिया, और का का एज मैंने पिता भाह़ा पिता हे
सरकार किया, और ल्येछ की दशमी को तिसको
पशृहरा भी कहो हैं में मद के तीर पर खपत
तरफ से तेरा एश्याभिरक करूंगा, और मानी समी-
पह्थ परना को उस उस्ा में बु्ाईंगा, बिन ऐसे
ि तुमको दा आगन पिकेगा, श्र हें रन
प्रवनध में गुदायक होगा।
दिन जब मथ्याइ झा समय आया सब पशु
पी र्ाप्त मारावके रथ आफे. बोर या
वे तेवा सलार कर चुके त1 उनसे चवासत के
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