भजन मंडली | Bhajan Mandali

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Bhajan Mandali by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१४ ) मजा उड़ावें । लड़की जन्म रुलानेबाले ॥२॥ रांड नचा अपशकुन बनायें ' कुर्बानी घन देह कराबें । खुश दोकर घन धर्म गमावें ' मरकर दोजख_ जानेवाले , ३ ॥ जो [ आा- तिशबवाजो छुड़बावें ' खुश हो सालमे आा ग लगावें । हिंसा करके पाप कमाें । घूनी चाम सूंघनेबाले । ४ मेठो कुरीत तम तज दुन्द' मेंठो या से शुभ सुख“चंद्र,, थंघे में ना होदो अ'घ। घरसे वे सुधर' हनेवाले ॥ '्ै। ९४ मअजन ( वेश्या खंडन ) कभी मत करना यार भूलके रंडीवा- जी ॥ टेक ॥ आतिश सुजाक हो ज़ात्रे। गठिया परमेह खताके.। मरें कर होहा- फ्रार ॥ भूल० ॥ छल करके घन हर लेवे। हर $ |




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