धर्म और धर्म नायक | Dharm Aur Dharm Nayak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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नगरधर्म
[नगरधम्मे ]
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ककान्यकनण मनन. लि किक निकरनननयक
नगरधर्म का यथोचित रूप से पालन करने के साथ ही
साथ अपने छाश्रित श्रासधम की भी रक्षा करना नागरिकों का
परम कत्तंव्य है । इस कर्त्तच्य पालन में ही नागरिकों की नागरिकता
की प्रतिष्ठा है ।
जब धाम का विस्तार चढ़ लाता है व वह नगरके सूप
में पारिणत दो जाता हैं । इससे यद सपप्ट हैं कि आम; नगर का
एक भाग हैं । अतण्व मास का वस भी सगरघर्म ;गना लाता हैं।
माम और नगर में सप्यन्त भमिप्ठ संघंघ हैं। नगर का
प्रधान 'आधार मास है । प्राम के बिना नगर का जीवन नहीं टिक
सफता । साध ही नगर के बिना प्राम की रक्षा नटी दो सऊनी ।
प्रगर पास अपने घम-प्ालघस को भूल जाय शोर नगर 'प्पने
भ् की भम वा विस्सरण कर दे तो दोनों का ही पतन अवश्यमावी
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