धर्म और धर्म नायक | Dharm Aur Dharm Nayak

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Dharm Aur Dharm Nayak by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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् नगरधर्म [नगरधम्मे ] न ककान्यकनण मनन. लि किक निकरनननयक नगरधर्म का यथोचित रूप से पालन करने के साथ ही साथ अपने छाश्रित श्रासधम की भी रक्षा करना नागरिकों का परम कत्तंव्य है । इस कर्त्तच्य पालन में ही नागरिकों की नागरिकता की प्रतिष्ठा है । जब धाम का विस्तार चढ़ लाता है व वह नगरके सूप में पारिणत दो जाता हैं । इससे यद सपप्ट हैं कि आम; नगर का एक भाग हैं । अतण्व मास का वस भी सगरघर्म ;गना लाता हैं। माम और नगर में सप्यन्त भमिप्ठ संघंघ हैं। नगर का प्रधान 'आधार मास है । प्राम के बिना नगर का जीवन नहीं टिक सफता । साध ही नगर के बिना प्राम की रक्षा नटी दो सऊनी । प्रगर पास अपने घम-प्ालघस को भूल जाय शोर नगर 'प्पने भ् की भम वा विस्सरण कर दे तो दोनों का ही पतन अवश्यमावी ्ट




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