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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
60 MB
कुल पष्ठ :
1430
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१
स्वच्छ श्रौर निर्मल । यह देखकर वह प्रभावित हुआ और पूछा “इस भ्रनुपात में
प्रयास क्यों ।
पुष्पा ने कहा “स्वावलम्बन का का प्रयत्न” .
रामदास ने कहा--इसको छात्रवृत्ति मिली और उसका रूपया भी सिला--
उससे ही फुली हुई है । पर झ्राघा “श्रम इसने मेरे सिर पर डाला 1”
पुष्पा “छोटे से श्रम के लिए इतना उलाहना” मकान की वर्तमान मन्द
मुसकान उस के लिये यथेष्ट क्षतिपूर्ति है ।””
'रामदांस “तू बहुत वातून हो गई है
पुष्पा “तुम को इस प्रतियोगिता में किसने रोका है ।
उनकी माता ने कहा “तुम लोग रामशरण जी का समय वयों नष्ट कर रहे
हो । यह विवाद तो पीछे भी हो सकता है ।”'
पुष्पा बहुत हँसी श्रौर भ्रन्दर चली गई ।
रामदास “छात्रवृति श्रौर जन्म दिवस के उल्लास का ज्वर ।” _.
इतने में पुप्पा चाय की ट्रे श्र सामान ले भ्राई ।
« रामशरण ने कहा “जन्म दिवस की बधाई, पर इसका समाचार क्यो नहीं
दिया । कुछ लाभ हो सकता था ।
पुष्पा “इसी लिए नहीं कहा
रामदास “ठीठ लड़की”
पुष्पा ने सिफे हँस दिया । वह अच्छी मनोदशा में थी । वातावरण फिर
निमंत्र हो गया )
मेज के पास दुसरा मेज, टे के वाद ट्र, सब मेज सामान से भर गये ।
रामशरण ने कहा “इतना व्यय करने की तो श्रावश्यकता न थी”
पुष्पा “व्यय तो ऐसा नही हुभ्रा है । सब सामान मैने ही बनाया है । हाँ माँ.
के निरीक्षण में”
पुष्पा “मेरी क्षात्रवृत्ति की घन राशि सिल गई है श्रापका आधा चुकाया जां
सकता है । बाकी का भाग झागामी वर्ष में”
“बैंक का ऋणा कितना शेष है ?
पुष्पा “उसके लिए तो. पह॑ यथेष्ट न होगा--श्रागामी जुलाई श्रगस्त तक
जोड़ना पढ़ेगा ।”'
रामशररण “बैंक का ही ऋण पहिले छुकाओओ । उससे मासिक श्राय में वृद्धि
हो जायगी । मेरा ऋण उसके बाद चुक' सकता है ।.
रामदास की माँ “हमारे लिये तो बहुत लाभ कर होगा ही ।”...
“पुष्पा ! तुम्हारे ही दोष से जन्म दिवस ,का उपहार तो नहीं मिला । यदि
परीक्षा में प्रथम श्रेणी लावोगी तो श्रच्छा उपहार सिल सकता है ।” .
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