भाषा रहस्य | Bhasha Rahasya

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Bhasha Rahasya by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२०६ साषा-रहस्य पूर्वी भाग अथांतत गोरखपुर-बनारस कमिश्नरियों से लेकर पूरे बिहार प्रांत में तथा छोटा नागपुर सें भी बोली जावी है। यह पूर्वी हिंदी के समान हिंदी की चचेरी बहिन मानी जा सकती है। इसकी तीन विभा- पाएँ हैं--( १ ) मैथिली, जो गंगा के उत्तर दरभंगा के झासपास वाली जाती है । ( २) मगही, जिसके वॉंद्र पटना शरैवर गया हैं | ( ३) साजपुरी, जा गोरखपुर शरीर बनारस कसिश्नरियों से लेकर बिहार प्रांत के आरा ( शाहाबाद ), चंपारन श्रार सारन जिलों में बोली जाती है। यह माजपुरी अपने वर्ग की ही सैधिली--- मगही से इतनी सिन्न होती है कि चैटर्जो' भोजपुरी को एक प्रथक्‌ वर्ग में ही रखना उचित समभते हैं। बिहार में तीन लिपियाँ प्रचलित हैं । छपाई नागरी लिपि में होती है। साधारण व्यवहार सें कैथी 'चलती है ओर कुछ सैथिलों में सैथिली लिपि चलती है । औओद्री, डत्कली अथवा उड़िया उड़ीसा की भाषा हैं। इससे कोई विभाषा नहीं है। इसकी एक खिचड़ो बाली है जिसे भन्री कहते हैं। भन्रो में उड़िया, सराठी झौार द्रविड़ तीसों आकर सिल गई हैं। उड़िया का साहित्य अच्छा बड़ा है । बंगाल की भाषा बंगाली प्रसिद्ध सादित्य-संपन्न भाषाओं में से एक है। इसकी तीन विभाषाएँ हैं | हुगली के झसपास की की पश्चिमी बाली टकसाली सानी जाती है। बगाला चैँगला लिपि देवनागरी का ही एक रूपांतर है। झासामी बहिरंग समुदाय की झंतिस साषा है। यह आसाम को भाषा है। वहाँ के लोग उसे असामिया कहते हैं । आसामी घिहारी उड़िया (१) देवो-0लछा घात ए06ए810ूफ60; 01. [16 उशाएधा। पप्वाट्प्रघ्ट७, $. 52




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