अमरता का पुजारी या पू॰ शोभाचन्द्रजी महाराज का जीवन चरित्र | Amarata Ka Pujari Ya Pt. Shobhachandraji Maharaj Ka Jeevan Charitra
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
243
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दो शब्द
उदेति सबिता तास्र' ताम्रएवास्तमेतिच
“सम्पत्तो च बिपत्तो च महतामेकरूपता”
उद्यकालीन रवि की ्ररुण छवि को अस्तोन्मुख दशा में भी
उसी रूप में देख कर किसी कवि हृदय हिमाद्रि से सूक्ति की यह
सरस धारा फूट निकली कि सम्पत्ति और विपत्ति में महान आात्मा
में एकरूपता ही बनी रहती है. । वंस्तुतः सुखदुःलालुभूति से परे
रहना, रंगभरी दुनियां के मद्भरे वातावरण में या गमसरे
जगत के सत्तहूस अवसरों में समरूपता बनाए रखना कोई सरल
और आसान वस्तु नहीं है। जल्लज की तरह जल में रहते हुए भी
उससे निर्लेप बना रहना ही तो एक महान जीवन कीं सच्ची
पहितवान है ।
आओचाये शोभाचिन्ट्रजी म०८ की सिलमिल जीवन भांकी ठीक
उपरोक्त विचारों से मिलती जुलती दिखाई देती है। जो जीवन
सासारिक चौसनाओं से, कलुषित सावें! से, बुरे छाचरण से
ओछी मंनोबुत्तियें और कुसंगतियों से क्षण क्षण पल पल दूराति
दूर बला रहा, परमाथ आर संयस पथ को छोड़ जिसका एकं भी
कदस अनजाने यो अनदेखे किसी भ्रान्त पथ की ओर भूलकर भी
नहीं बढ़ा, भला ! बहू मददापुरुष लहीं तो श्रौर क्या है । संक्रोच
आर संकीरशता जद्दां चूके कर भी भांक नहीं पांयी, सहंदयंतां और
User Reviews
No Reviews | Add Yours...