आर्थिक संगठन | Arthik Sangathan

Arthik Sangathan by बी. एल. ओझा - B. L. Ojha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पथा» उसका प्रात एन कन्दीय ग्राथ्कि समस्याएं या काये हा दर ही विभिन्न झर्थव्यवस्थाश्रो मे ध्रस्तर के श्राघार तत्व (हिट हनलाधाड 0 ए0उपाटएक ाणादू +्ा10घ% दटिणाएपए 05) आज विस्व मे कई प्रकार की झाधिक प्रसालियां (भपंस्यवस्थाएं) पाई जाती है । यो तो भर्थेन्यवस्था का स्वरूप बहुत कुछ साधनों के स्वामित्व एवं सगठन, सामाजिक नियमों, नि्ंयो की प्रद्िया एव राज्य के हस्तक्षेप वी माना एव प्रकृति पर निर्भर करता है पर श्रबंब्यवस्या के स्वरूप पर काम करने वी प्रेरग्गाशो, सामाजिक लक्ष्यों तथा निएय के श्रघिकार भादि तत्वों का मी प्रमाव पढ़ता है । इन तत्वों का सक्षिप्त विद्रण इस प्रकार है-- 1 श्राथिक साधनों का स्वामित्व--ग्रथव्यवस्थाम्रो में भेद वरने वाला मुख्य तत्व श्राधिव साधनों का स्वाभित्व है । श्रयर उत्पादन के प्रमुख साधनों पर निजी व्यक्तियों व सस्थाग्रो का स्वामित्व हाता है तो उसे पूजीवादी श्रर्धव्यवस्था माना जाता है । भ्रमेरिका, ब्रिटेन तथा पाश्चात्य देशो मे उत्पत्ति के साघतों पर निजी स्वामित्व का वोलबाला है । भ्रमेरिका मे 80% विनियोग तथा प्रिटेन में 55% विनियोग निजी व्यक्तियों या सस्थाग्रो द्वारा किया जाता है श्रौर इनके दिपरीत श्रगर उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व न होकर सावंजनिक स्वामित्व की प्रधानता होती है तो समाजवादी प्र्थव्यवस्था वहुलाती है । साम्यवादी प्रथ॑व्यवस्या म निजी स्वामित्व केवल नाम मात्र होता है। मिश्रित श्रव्यवस्था में प्राधिक साधनों का स्वामित्व सार्गजनिक एन निजी क्षेत्रों में इस प्रकार बेटा होता है कि समाज को अधिकतम लाभ प्रदान बरने की चेप्टा की जाती है । 2. निर्णय बी प्रफ्रिया--जिस भ्रथेव्यवस्था मे ग्राधिक निर्णय मुख्य रूप से बाजार प्रणाली (81:८1 8४०16) के द्वारा भ्रनेक क्रताद्री श्रौर विश्रतामों की सांग श्रौर पति के श्राघार पर श्रघिवतम लाभ के लिए किये जाते हैं उसे पूजीवादी अर्थव्यवस्था कहां जाता है। इसके विपरीत जिस श्र्यव्यवस्था मे श्राथशिक निर्णय सरफारी भ्रादेश प्रणाली (०0 5४516) पर निर्मर करते हैं एसे समाज+ वादी भ्रथंव्यवस्था का नाम दिया जाता है । साम्यवाद तो सम जवाद का बहुत ही कठोर रूप है जिसमे मादेश-प्रसाली सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है । मारत जंसी मिधिते अ्र्थेव्यवस्थाश्रो में श्राधिक निर्णयो के लिए बाजार प्रणाली तथा श्रादेश प्रसानी दोनो का सम्मिधण किया जाता है। नियोजित मिधित अर्थव्यवस्थामषो मे झादश प्रणाली की अधानता होती है । 3 राज्य हस्तक्षेप की मात्रा एव प्रकृति--भ्राथिक प्रणाली का स्वरूप बहुत कुछ सरकारी हस्तक्षेप की भात्रा एव प्रडडति पर भी निर्भर करता है । पूजीवादी श्रणाली में राज्य का हस्तक्षेप बहुत दम शोर झ्रथव्यवस्था की स्थिरता की श्रोर ध्यान दिया जाता है । श्राजकल पं जीवादी अर्थव्यवस्था से भी राज्य का हस्तक्षेप निरस्तर बढ़ता जा रहा है फिर भी समाजवादी धर्थव्यवस्थामो में राज्य वा हस्तक्षेप बहुत




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