श्री भुवन भानु केवली चरित्र हिन्दी अनुवाद | Shri Bhuvan-bhanu Kevli Charitra Hindi Anuvad

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Shri Bhuvan-bhanu Kevali Charitra Hindi Anuvad by शेरसिंह गौड़वंशी - Sherasingh Gaudavanshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(ण) सेम्कार मिट किये थे या उसके थोड़े दिनो वाद ही राज्य प्रबन्ध की झन्सों में पड़ने से वे सारे संस्कार छुप्त दोगये और मेरा मन विपय वासना ओं से भरगया इस मक्नार हो सुनिराज, मेरा अवतक का जीवन छथादी गया पर पूर्व के सुसंस्कारां के कारण गत रात्रि में सुझे कुछ ज्ञान हुआ तो मेने शिचार किया कि- इस प्रकार यहीँ आरम्भ में घिरा हुआ मैं जिन अनेक पापी का संखय कर रहा हूँ उनका मतिफल भोगने का जब समय आवेगा तत्र कौन मेरी रक्षा करेगा इस बास्ते अब यदि ग्रुझ्ने किप्ती योग्य सुनिरान का संयोग मिछे तो में अपने इस संशय का निवारण करूं पर सावद्दी यह यंड्वा उत्पन्न हुई कि मुझसरीखे पथश्रट प्राणी को योग्य मुनि का सपागम बह्डुठ कठिन है। “इस भफार बिचार करते २ रात बीटगई और ज्योहीं मैं भतः कृत्य से निपंट अपनी राज्यव्यवस्था देखने दरबार में आया यों मारवाड़ के मुसाफिर को क्षीरसागर के स- मान, चातक को य्रीप्म ऋदमें स्वादी के जल के समान, सूर्य के ताप से तपे मजुप्य को आम की छाया समान ओर




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