राजस्थान का ऐतिहासिक पुरातत्व | Rajasthan Ka Aetihasik Puratatva
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यहाँ प्राप्त होने वाली मिट्टी मे सबसे प्रमुख लाल मिट्टी है । यह मिट्टी
उदयपुर श्रौर डूगरपुर जिलो में पायी जाती है। काली मिट्टी में
गीलापन होता है तथा यह उपजाऊ है । 50 से 75 से० मी० वर्षा मे
विभिन प्रकार की फसलों को उगाने मे सुविधा होती है । इसके प्रलावा
लाल तथा काली मिश्ित-मिट्री पीली तथा लाल मिट्टी मिलती है जो
बहुत उपजाऊ होती है । राजस्थान के इस क्षय मे वर्षा खूब होती है।
यहा श्रनेक किस्म वी मूल्यवान लकड़ी होती है । इस क्षत्र के लोग
स्थायी निवास बनाकर रहते हैं । इहें भोजन श्रौर पानी की तलाश
में भटकना नहीं पडता ब्योकि यह पर्याप्त वर्पा होती है ।
इन भौगोलिक भुखण्डो का श्रपना एक दीघकालिक नेसणिक
इतिहास हैं । विभिस भूगर्भीय काला मे श्रनेक महृत्वपुण परिवतन श्राये
जिनसे विभिन क्षेत्रा के घरातल की रचना मे म्रतर श्राया । इस दृष्टि
मे राजस्थान का पश्चिमी मरुस्थलीय भाग श्रत्यत महत्त्वपूण है ।
जसलमेर, बीकानेर का मरुस्थलीय भाग जूरासिक [ अ0185516 )
क्रीटेशियस (01618506005), श्रौर इयोसीन (80066) कालो मे
अधिकाशत समुद्रावृत था । यह संशय का विषय है कि ठोव किस
समय इस क्षत्र में उभार भ्राया झर सागर मर्स्थल के रूप में परिवतित
हुमा । सभवत तृतीयक (1608४) के उत्तर काल मे ऐसा हुम्रा
होगा हु परिवतनों से जुड़ भौगोलिक श्रौर जलवायुगत
परिवतनों के साक्ष्य भी राजस्थान में उपलब्ध हुए हैं । प्रातिन्ुतन
(रि&्ा5100806) काल के प्रारम्भ में भी भ्रनेक जलवायुगत परिवतन
हुए हैं । यह वह काल है जब विश्व और भारत में भी मानव के
1. कृप्सन, एम एस... इवोत्यूशन शभ्राफ इजट पो सिम्पो राज डेजट
वुने सा ई, जिल्द । (1952) प 19
दष्टय वक्शाप भ्रान दी प्राब्लम्स झाफ दी डेजट इन इण्डिया सितम्बर
16-18 1975 जयपुर (अप्रकाशित शोध-पत्र) ,
वकशाप श्रान पलियोवलाइमेट एण्ड झावियालाजी आफ राजस्थान
एण्ड गुजरात, फिजिकल रिसच लेवोरेटरी भ्रहमदाबाद, 23-26 फरवरी
1976, इकोलाजी ऐण्ड घराकियोलाजी झाफ वेस्टन इण्टिया (1977)
सपा घमपात श्रग्रवाल एव वी एम पाण्ड |
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