राजस्थान का ऐतिहासिक पुरातत्व | Rajasthan Ka Aetihasik Puratatva

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Rajasthan Ka Aetihasik Puratatva by आशुतोष सक्सैना - Ashutosh Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यहाँ प्राप्त होने वाली मिट्टी मे सबसे प्रमुख लाल मिट्टी है । यह मिट्टी उदयपुर श्रौर डूगरपुर जिलो में पायी जाती है। काली मिट्टी में गीलापन होता है तथा यह उपजाऊ है । 50 से 75 से० मी० वर्षा मे विभिन प्रकार की फसलों को उगाने मे सुविधा होती है । इसके प्रलावा लाल तथा काली मिश्ित-मिट्री पीली तथा लाल मिट्टी मिलती है जो बहुत उपजाऊ होती है । राजस्थान के इस क्षय मे वर्षा खूब होती है। यहा श्रनेक किस्म वी मूल्यवान लकड़ी होती है । इस क्षत्र के लोग स्थायी निवास बनाकर रहते हैं । इहें भोजन श्रौर पानी की तलाश में भटकना नहीं पडता ब्योकि यह पर्याप्त वर्पा होती है । इन भौगोलिक भुखण्डो का श्रपना एक दीघकालिक नेसणिक इतिहास हैं । विभिस भूगर्भीय काला मे श्रनेक महृत्वपुण परिवतन श्राये जिनसे विभिन क्षेत्रा के घरातल की रचना मे म्रतर श्राया । इस दृष्टि मे राजस्थान का पश्चिमी मरुस्थलीय भाग श्रत्यत महत्त्वपूण है । जसलमेर, बीकानेर का मरुस्थलीय भाग जूरासिक [ अ0185516 ) क्रीटेशियस (01618506005), श्रौर इयोसीन (80066) कालो मे अधिकाशत समुद्रावृत था । यह संशय का विषय है कि ठोव किस समय इस क्षत्र में उभार भ्राया झर सागर मर्स्थल के रूप में परिवतित हुमा । सभवत तृतीयक (1608४) के उत्तर काल मे ऐसा हुम्रा होगा हु परिवतनों से जुड़ भौगोलिक श्रौर जलवायुगत परिवतनों के साक्ष्य भी राजस्थान में उपलब्ध हुए हैं । प्रातिन्ुतन (रि&्ा5100806) काल के प्रारम्भ में भी भ्रनेक जलवायुगत परिवतन हुए हैं । यह वह काल है जब विश्व और भारत में भी मानव के 1. कृप्सन, एम एस... इवोत्यूशन शभ्राफ इजट पो सिम्पो राज डेजट वुने सा ई, जिल्द । (1952) प 19 दष्टय वक्शाप भ्रान दी प्राब्लम्स झाफ दी डेजट इन इण्डिया सितम्बर 16-18 1975 जयपुर (अप्रकाशित शोध-पत्र) , वकशाप श्रान पलियोवलाइमेट एण्ड झावियालाजी आफ राजस्थान एण्ड गुजरात, फिजिकल रिसच लेवोरेटरी भ्रहमदाबाद, 23-26 फरवरी 1976, इकोलाजी ऐण्ड घराकियोलाजी झाफ वेस्टन इण्टिया (1977) सपा घमपात श्रग्रवाल एव वी एम पाण्ड |




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