स्वप्न और जागरण | Swapn Aur Jagaran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
416
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पथ की खोज
दोते हैं । फिर मुक्ते समय नहीं सिलता । लेखक में सोचने की शक्ति
होनी चाहिये, शरीर एकाग्रता की । मेरा जीवन बिजिनेस में रहता है;
दिसाग को फुप्त कहा, एकाग्रता कहां... ..मैं कैसे लिख सकता हूँ ।
पुस्तक मैं आपके पास भेज दूगा, झ्ापकों पसन्द आयेगी |”
और उसने चन्द्रनाथ से उसके कालेज का पता पूछा ।
चन्द्रनाथ ने मन में सोचा कि उस अनुभवी युवक की पुस्तक
अवश्य ही रोचक होगी । पर इतने छोटे परिचय में वह उसका इतना
विश्वास क्यों करने लगा यह उसकी समक में नहीं श्राया ।
दोपहर में भोजन के समय चन्द्रनाथ और इन्द्रमोइन फिर साथ हो
गये । भी थालिया श्राने में देर थो, दोनों बाते करने लगे । इन्द्र-
मोहन ने पूछा--
प्रोफेसर साहब श्राप शादीशुदा हैं ?'
'मेरी पत्नी की डेढ़-दो वर्ष हुये सृत्यु हो गई ।”
“उसके बाद १ श्रमी तक शादी नहीं की ?'
“नहीं, कुछ कारणों से । श्रापका तिवाह हो चुका है ?”
“भी नहीं । मेरा विश्वास है प्रोफेसर साहब कि श्रादमी जब तक
बहुत-सा सपया जमा न कर ले; उसे शादी नहीं करनी चाहिये । उसके
बिना आपको अच्छी लड़की नहीं मिल सकती, न श्ापकीं “होम
लाइफ़'” (पारिवारिक जीवन) ही सुखी हो सकती है । क्योंकि बीबी
को 'खुश रखने के लिये सचसे जरूरी चीज है--रुपया । श्राप इससे
पहले कहीं श्रौर सर्विस करते थे ??
पतन | वर
“यो ! तब आपने बहुत जल्द शादी कर ली थी । मैंने प्रोफेसर
साहब, फैजाबाद में हाल ही में कुछ जमीन खरीदी है । (श्राप जानते
हैं मुक्ते बराप-दादा का माल कुछ भी नहीं मिला, एक मकान भी नहीं
क्योंकि मेरे कई भाई हैं और मकान छोटा-सा ही है 1) मैं चाहता हूँ कि
उसपर एक बढ़िया सा बंगला बना ले, तब शादी करू |”
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