रूस का आर्थिक विकास | Rus Ka Aarthik Vikas
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27 MB
कुल पष्ठ :
271
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१७. )
[4] तृतीय पंचबषीय याजना [:958-1942] : साहसपूर्ण तथा
व्यापक दृष्टिकोण--यातायात की उन्नति--वेज्ञानिक स्थानीयकरण सीति--
सुरक्षा तथा शस्त्र उद्योग पर व्यान--इनम शुण का सुधार--पूँजी विनि-
योग--उत्पादन ब्रद्ि--समाजवादी य्रतिसर्धा में. विस्तार--दार्थिक
पारितोपरिक--श्रम-उत्पादकता से सुघार-- औद्योगिक यबन्ध में सुधार--
कारखाने की द्रात्म-नि्मरता- मौट्रिक . मूल्याकन--व्यवस्थित लेखा-
यणाली--लामपूण उत्पद्न--गतर-कारखाना विनियोग को प्रोत्साहइन--
कुछ कमुजोरियॉ--शफसरशाही--तत्कालीन निणुय व उत्तरदायित्व--
सतुलन तथा सम्पक--104०0 मे योजना स्थयित--पय्रगति का अनुमान
[51 चतुथ पंचवर्षीय योजना [7946 7950] : उदेश्व--पुन-
निर्माण--ए939-40 का उत्पादन स्तर प्रात करना--इससे श्धिक
प्रगति--यातायात -- उद्योग-स्यात तथा लोहा पर जोर- विद्यत--कृषि
से युद्ध से हानि--लद्य तथा पूर्ति ।
[८6] पंचम पंचवर्षीय योजना [791 ०-70956] : विश्व युद्ध के प्रभाव
को मिटाने का प्रयत्न - पुरानी परिपाठी--मुर्ा - भारी उद्योग - यात्रिक
प्रगति--उत्पादन इंद्धि पूँजी विनियोग--योजना पड़ति में उन्नति---
आर्थिक निणुय का विकेन्ट्रीयकरणु
] छठवीं पंचब्पीय योजना ।ः 0१06-70 60 : स्तालिन पद्धति की
ततिम योजना--7र957 से सशोधित - 1958 में स्थगित-- स्वय-चलित
यंत्रों [01 00901000] का प्रयोग--उपभोग की वस्तुओं पर जोर--
त्व्यवहारिक लक्य |
[8] सप्बषीय सातवीं योजना [1919-1५ | * शवधि बढ़ी--
आधारभूत परिवतन उद्देश्य--भारी उद्योग--शान्तिदूर्ण ार्थिक प्रति-
स्पर्घा--प्राकुविक साघनों की खोज तथा विकास--यात्रिक कशलता पर
जोर--श्रप्तिक-उत्पादकता --रहन-सहन के स्तर से बिकास--साम्यवाद की
स्थापना, पूजी वनिमाण तथा विनियोग--विलक्षण पेंजी विनियोग का
तकार--वतमान कारखानों का आधुनीकरण--सराहनीय बथाथंवादिता--
प्राथामेकताएं--नबेकास से सामजस्प - उत्पादन से विशिप्टीकरण-- लागत
लेखा झ्ाघार, कुषपि-- उत्पादन दद्धि से दमस्त श्ावश्यकतायं की पूर्ति -
मोजन--कच्चा माल--कोलखोज व राजवीय खेत का विलयन-- राजकीय
फार्म के उत्पादन का विशिष्टीकस्ण --लागत मे कमी--पूर्वीं प्रदेश की
नई सूमि का विकास --फ्शु पालन--यत्र एवं विजली का पयोग--कुष्रक
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