अथ हुनमान नाटक भाषा | Ath Hanuman Natak Bhasha

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Ath Hanuman Natak Bhasha by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हनुमानाटक भाषा प् कहा, समसि परत नहिं सार ८) चन्दायणाइन्द | झद सकल जि पाल सुभखित भ्रसक़ है ॥ चष्याम दशबीव इंरा अनरक है वनुपारोपण शुट्क सुदक जाहिर कियो । परहां । कसह है सिय हाय कहत नुप भरि दियो ६ ॥ घवेदेदाबाक्य ! कोमल सरति को शलराज किशोर है। शब्सु शरासन कमर सुएध कठोर है ॥ केह्ि विष होय अधिज्य झसम्य बात है । परहां । झति दारुण पशु फियो भरह्दट तुम तात है १० ॥ दोदाचन्द ॥ बैरेही बर बचने सम; नौर भरे दुप नेन ॥ ते पुरोहित क्रोध करि; कहने लग्यों कह ११ | मत्ततजन्ददन्द ॥ सयुत शम्सशिरागणुनायक स्कन्द्नन दि गिरिन्द्रउठायों 1 वेक्रम बेश पराक्म पुत्र दशाननकों शितिछोरन छाया ॥ भूप विदेश विचार करें हिय चाप चढ़ावन वाहि बतायो । ध्ावत मोहिं झचग्भ महा इ हिगें तुपका परुपारथ पायों १ ९ || कि रुवाव || दोदाइन्द 1 उपगोहित आश्ेपकरि: उरउमंग बषिकाय | जनक सुनावत सब नूपन: तब निज सुजाउडाय १ है || जवकउचाल || खस्द्ाययाइन्द है शास्लशरासन मध्य महागरुतार । बीस सजनकी शक्ति जहां कुर्वितभे ॥ ऐसेको इत झाहि याहि संज्जिवकोर । पर हा! 1नसवन 1बेजय वबिभाति सांप ताका बरें १४ ॥ रूचिरुषत्य |) सोरठाढन्द है सानविदेह दूपवोल, श्रीगघुनन्दन उमशिउर ॥ लखत सलोचन सील: जडाजर बन्वीदे ॥ १५ | इति श्रीपिपसोदपसपाधिपालराच तजोभ्ीदूलइसिंदशी विशापितरलफरसयक दी कारामाझजगोविन्द्रामविरखिसेशीवरविलासेपुर) शित विदेद्रेचादानामसूसीयोज्ञासर ॥ ३ | सदकंबलस्तरन है चशषवामंसुगरशोजयकारिमशंतण तदेवपरुष स्थाराद्स्फुरितंगयशंतन मिति १ || कविस्वाल || घनाकरीदन्द || पुल क्रित परमम्मेर सहित मुखाराविन्द, सेयाके कपोज़ में बिल कत




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