श्रीमद्भगवद्गीता | Shri Madbhagavadgeeta

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Shri Madbhagavadgeeta by आनन्द गिरि - Anand Giri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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च्छी तरह आ जाता हैं. 3 गा यहांतक करन्यास हुआ _. झ० ही कि दी कर पांचों उंगलियांसे चोटीका स्पश करत हूं ....... नित्यः सवगत स्थाणुशिति कवचाय हुम कर पी. सन __ अभ यह मंत्र पहकर दहिने हाथ बायें खबेका ओर बायें हाथसे व हे




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