संचयिता | Sanchayita

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
43 MB
कुल पष्ठ :
348
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कल-कल,छल-छुल,
शोशित उष्ण, अधीर;
अस्थि, सांस, सजा
जिसका एक तार हूँ, :
बजती
वही विश्व-वीणा विराट
सुवन-भुवन में
दिवा-रात्रि
निबाध,
ये तार मिक्ष, पर
पिच: नहीं -स्वर;
राग एक, उँगलियाँ एक ही,
और एक ही वादक,
. चिरमादक |
बे. .
हाँ, तो यह मेरी-पुस्तक का
प्रथम पृष्ठ है; «
और, कॉँप्रता मेरा कर,
थर-थर . |
श्राज़, लेखनी रही सिहर /
लिख न सकूँगा ।
बाहु-पाश, में खींच रहा
सौन्दय मुभे,
रो वर्चेमान के कलाकार,
: रच, रच | .
नूतन युग में -न्वल सृष्टि /
कर ध्वंस पुरातन,
निर्मय हो मेरा वन्दन या,
कह मेरी जय /
अौरसी
और, वहीं से एक छीण स्वर
उठता हैं,
बच, बच /
हतभाया सानव,
मरु की सुगठष्णा से /
इतने में
सच, सच .
कहता कौन युकार
एक ही बार,
आत्या में,
यह किस द्रोही का हुहुंकार
कया वही सत्य है ?
कर न सकोंगे क्षमा मु्े कया ?
नहीं 2
सावसौम कवि,
है सुत्दर /
उचित नहीं- यह श्रक्सर |
रद
के
सें देख रहा, मेरे श्रागे
जो फैल रहा है इतना पथ
वामन-पद-सा;
और, क्षुद्र यह
मेरे लघु जीवन का रथ |
जिसमें जुते अश्व
मेरी युग-युग की
कांक्ताओओं के इलथ /
मैं प्यासा हैं;
युग से जीवित,
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