छातों की फुलवाड़ी | Chhaton Ki Fulavadi

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Chhaton Ki Fulavadi  by मेरिया बेन - Meriya Ben

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१०. ) हडताल और हिंसा का नाश हो ।” “हम दंगों का विरोध करते है।” चिल्लाती हुई बढ़ गई । भ्रध्यक्ष के कार्यालय के सामने भीड़ के कुछ वक्‍्ताओं ने कम्यूनिस्ट विद्याथियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की । श्र योजना के श्रनुसार झाक्रमण नारमल यूनिवर्सिटी पर होना था । लेकिन रब तक शहर की सभी यूनिवर्सिटियों को हमने सम्भावित श्राक्रमणा के संबंध सें सचेत कर दिया था । नारमल के सभी दरवाजे बंद करके रोक दिये गये थे । ख़तरे की सूचना देने के लिए पहरेदार दीवारों की चौकसी कर रहे थे। “दंगों का नादा हो” चिल्लाते हुए प्रदशनकारी फाटक पर टूट-पड़े । उन्होंने पत्थरों की बौछार से संतरियों को मार भगाया श्रौर ताला तोड़ कर फाटक के झ्न्दर दाखिल हो गये । लेकिन हमलावरों के पहले जत्थे का स्वागत तेल के बड़े-बड़े पीपों की ... तार से हु जिनमें पत्थर श्रौर सीमेंट भरा था । उनमें भगदड़ मच गई ' लेकिन वे फिर दरवाजे पर लौट प्राये । छात्रावास की छत से छात्रों ने इनका स्वागत दम घटाने तथा श्रंधा बनाने वाले सीमेष्ट भरे कागज के थंैलों की मार से किया ।. की इस भगदड़ में किसी हमलावर ने भंडे के पास खड़ी नारमल की एक थुक्ती को देख कर कहा, “पकड़ो ! यह भी एक कम्युनिस्ट कुत्ती है ! ” उन्होंने उस लड़की के घटने तोड़ दिये श्रौर फिर उसे कुचल डालने की भी _ चेष्टा की । भीड़ में राष्ट्रवादी सेना के दो श्रधिकारियों ने उसे बधाना चाहा । “रुक जाओ ! यह लड़की है । हम यहां श्रौरतों पर हाथ उठाने नहीं आये ।” लड़की घायल हो चुकी थी । वह छात्रावास में बचकर भाग निकली । _ उसका चेहरा खून से सना था । इस लड़की के बचकर निकल जाने के काररण ऊंचे कायरों का गुस्सा फूट पड़ा । वे उन दोनों अधिकारियों पर टूट पड़े । “ये भी कम्यूनिस्टों के जासुस हैं ! ” “इन हरामजादों को जान से मार डालो ।” उन अधिकारियों में से एक ने उस श्रादमी के पेट में लात मारी जो उसे पकड़े _ हुए था और दूसरे को भी श्राजाद करने में सहायता दी ताकि दोनों भाग सम्स .




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