प्रयोग-सहस्त्री | Prayog-sahastri
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
98.26 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामदेव त्रिपाठी - Ramdev Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२४६ प्रयोग-साहस्त्री । 1
भ्० २--गुलर का सुरब्बा । हर
गूलर के कच्चे फल * सेर. शकर २॥ सेर ३
विधि--१ सर पानी में फलों को उबाले ।. कछ पक जाने...
पर इसी जल में शकर मिलाकर चाशनी बनाये । शहद की
तरह चाशनी बन जाने पर गूलर के फतं को इसी चाशनी
में मिलादे। ८ दिन के बाद काम में लावे ।
मात्रा--१ से ३ तोला तक ।
समय--सुबह शाम ।
रोग-पेट की जलन, मूत्ररऊुच्छू, पेशाब की जलन |
५०३--अजीणहरीवटिका ।
मूली का स्वरस. 3। सेर. .. नवसादर ? सेर
छोटी हरड़ 5... जोरा ड।
झअझजवायन $। _ झजमोद डा म
'पको इसली का गृदा 51. _ कौड़ो की भस्म 5।.
काली मिचें. 5 सेंघा नमक. +।
अमलवेत 5 भूनी हींग... ६-
_. विधि-सबको महीन पीसकर मिट्टी की हांडी में भरदे।
ऊपर से झाक का दूध इतना भरदे कि सब दवा भीग जाय |
इस हांडी को धूप में रखकर दवा खुखा ले और पीस कर
कपड़े से छान ले। इतना हो जाने पर मूली की जड़ का
_स्व॒रस निकाले । इस स्वरख में नवसादर डालकर अग्नि
User Reviews
No Reviews | Add Yours...