वस्तु परिचय | Vastu Parichay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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26 | बस्तु-परिचय--ज्ाण्ड टूर डसार्क व पैकेजिंग कर . भारत में पेकेजिंग ९208 00२० एर एस भारत में पैकेजिंग अभी नया है लेकिन अधिकांश निर्माता इसका सहारा लेने लगे हैं । इसी का परिणाम है कि दिन-प्रतिदिन नये नये सुन्दर व आकर्षक पेकेज सामने आ रहे हैं । इधर भारतीय उपभोक्ता की आय में बराबर वद्धि हो रही है तथा . शिक्षित जनसंख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है । इस सबका परिणाम है कि अब उपभोक्ता पैक की हुई वस्तु चाहता है । भारत में पेर्केजिंग पदाथ जिनका प्रयोग किया जा रहा है इसमें लकड़ी की पेटी ४7०06 80265 गत्ते के डिब्बे 08600०276 0०एकंप्डा5 जूट के कपड़े एवं बोरे 10६ 107 &06 8885 कागज के थैले ९2067 8885 काँच की बोतल 01855 80०0165 टीन के डिब्बे 70 प्लास्टिक की थैली 14500 8885 घास की टोकरी एल्यूमीनियम के डिब्बे है11एफ़ांपाएफा 0पाध्ए्टा5 आदि आते हैं । योजना आयोग के अनुसार पैंके- जिंग पदार्थों की माँग में बराबर वृद्धि हो रही तथा उसमें तेज गति से वद्धि की. भावना है । एक सर्वेक्षण के अनुसार इस समय देश में 400 इकाइयाँ हैं जो 350 करोड़ रुपय के मूल्य की पेकेजिंग वस्तुओं का निर्माण करती हैं जिनमें 15% सावेजनिक कम्पनियाँ वे 20 प्राइवेट कम्पतियाँ हैं । भारत में पैकेजिंग व्यय बढ़त ही कम है यहाँ पैकेजिंग पर प्रति व्यक्ति व्यय 6 रुपये है जबकि अमरीका में 460 रुपये ब्रिटेन में 280 रुपये व जापान में 217 रुपये है । पैकेजिंग के महत्व को देखते हुए भारत में बहुत-सी संस्थाएँ स्थापित हो गयी हैं जो निर्माता एवं विक्रेताओं को उनकी पैकेजिंग सम्बन्धी समस्याओं के हल करने में सलाह ही नहीं दतों बल्कि बने-बनाये खाली पैकेज उसी के आकार-प्रकार के बनाकर उनको देती हैं जिस आकार-प्रकार की उनको आवश्यकता है। इस सन्दर्भ में भा &1 . 8025 नामक संस्था का नाम उल्लेखनीय है। यह संस्था इस सम्बन्ध में अच्छा सवा कर रहा हू । भारत मं पकेजिंग की लागत बहुत आती है जिससे वस्त का प बढ़ जाता है अतः पैकेजिंग लागत एक समस्या है। भारत में सीमेण्ट जुट के रो मे पककर बचा जाता हैं जिसकी लागत कुल लागत का 16 प्रतिशत बैठती है । इसा प्रकार काफी की परकेंजिंग लागत 40 प्रतिशत है । सारतोय पैकेजिंग संस्थान सिहर 08 02072 पैकेजिंग के महत्व को देखते हए सन 1956 में भारतीय पैकेजिंग उद्योग- पतियों एवं भारत सरकार के सहयोग से बम्बई में भारतीय पकेजिंग संस्थान 0080




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