भगवान बुद्ध | Bhagavaan Buddh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं शशिनाथ चौधरी - Pt. Shashinath Chaudhary
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भगवान बुद्ध रू?
सीख चुके । गुरुजी ने राजा से साफ-साफ कह दिया-
महाराज, अब मेरे पास ऐसा कोई भी शास्त्र अथवा विद्या
नहीं है, जो में राजकुमार को बताउऊँ । सिद्धाथ ने साहित्य,
व्याकरण, 'घमशास्त्र, ज्योतिष आदि शास्त्रों को पढ़कर तल-
बार, तीर आर साला चलाना, हाथी और घोड़ों की सवारी
करना, अच्छी तरह सीख लिया था ।
सिद्धाथ के एक सौतेछा भाई था, जिसका नाम नन्द
था | उनका एक चंचेरा भाई भी था, जिसे लोग देवद्त्त कह-
कर पुकारते थे । ये दोनों राजकुमार के साथ ही नदी-तट एर
खेलने के लिए ज्ञाया करते थे । देवदत्त का स्वभाव अच्छा
नहीं था । चह सिद्धाथ से द्रंघ रखता था । चह यह नहीं चाहता
था कि लोग सखसिद्धाथ की प्रशंसा करें । चह जन्म-सर खिद्धाथ
का राधा रहा |
रोहिशी-नदी के किनारे एक बहुत बड़ा वृक्ष था । संयोग-
वश बह नदी में गिर पड़ा । फल यह डुद्मा कि एक तरफ तो
पानी बहुत बढ़ गया ओर दूसरी झोर जल कसने लगा । इससे
लागों को बहुत कष्ट छुआ । पेड़ बहुत बड़ा था । लोगों ने उस
नदी से बाहर निकालने का यत्न भी किया, परन्तु बह नहीं
_ निकला । छोगों का दुम्ख सिंद्धाथ से देखा नहीं गया। वह
नदी के तट पर से ही वृक्ष की जड़ को खींचकर बाहर ले
झाये । सब कोई उनको इसके लिए आशोचाद देने लगे और
उनकी प्रशंसा करने लगे। ऐसे तो वह वीर थे !
एक दिन सिद्धाथ और देवदत्त एक साथ फुलवाड़ी की
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