स्वास्थ्य साधना | Swasthaya Sadhana
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
512
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हि 'भे किया और भाज-
दकीमी घोर लिया, उस समय ज्ञानका दीप.दुतक पहुँची है
पारसिल्सस था ! इन्होंने इकीमीका भी यथेष्र नके लिये भी
परन्तु विक्रमंकी सोलहवीं शताव्दीमें डे । उधर
नामका एक प्रतिभाशाली वैद्य जर्ममनीमें हुआ । जिद उसके
मूंदकर गालीजु और अवूसेनाके अयुयायित्वका घोर -घारके
किया । उसने खयं रखायन विद्याका अनुशीलन कि».
प्रकृतिनिरीक्षणपूर्वक नैसर्गिक चिकित्साका प्रचार किया, साथ
ही रासायनिक घातव यौगिक ओषधियोंके प्रयोगकी युरोपमें
इसीने पदले पहल नेव डाली ।
जहां भारतवर्षमें राष्ट्रिय दासत्व भर हकीमी और डाक-
टरीकी वृद्धि, उन्नति और प्रचारने वैद्रकको राज्याश्रयसे चेचित
रखा, वहां युरोपमें गत तीन चार सौ चर्षोमें
भौतिक, रसायन और जीव-विज्ञावकी खोजों
और आविष्क्ारोंने सं सारका कायापलट कर
दिया और हर जगह डाकटरीको राज्याश्रय दिलाया । जीवाणु-
विज्ञानने नये सिद्धान्त जन्माये । _अणुवीक्षण यंत्रने हमारी दृष्टि
बड़ी पैनी और सूक्ष्म बना दी। शब्य-विकित्सा और शरीर
_व्यवच्छेदशास्त्र अपनी उन्नतिके शिखरपर पहुँचे । आयुर्वेद्की
सेवपर जो डाकटरी खड़ी की गयी थी, आज इतनी बदल गयी
है कि पहचानी नहीं ज्ञाती । पाश्चात्य सभ्यताने ओर वैज्ञानिक
आविष्कारोंने जैसे जैसे जीवनके ढंग बदले वैसे ही वेसे डाक-
टरीके रूप भी बदलते गये । यदांतक कि आज जिस तर्द
डाकटरीकी चम-
त्कारिक उन्नति
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