पावन - प्रसंग | Pawan Prasang

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उस समय वे उत्तर प्रदेश की विधान-सभथा के सदस्य थी
थे । लोगो के पास जमीन माँगने जाते तो झोली भर-भरकर
लें आतें । कोई बावाजी से यह नही पूछता था कि आ्ापनें
कितनी दी , क्योकि सभी जानते थे कि बाबाजी के पास सिवा
विभूति के श्र क्या हो सकता हूं !
परतु बाबाजी को भ्रखरने लगा । विधान-सभा से कुछ
रकम सिलती थी । उसीसे से कुछ रुपया बचाकर उन्होने
जमीन खरीद ली श्र भूदान-यज्ञ में अपना हविर्भाग भी
अर्पित किया ।
उनके इस उदाहरण ने श्रौरो को भी प्रेरणा दी । भूदान-
आआ्दौलन के बाबाजी प्रमुख स्तभ हे । पुरी-सम्मेलन के बाद
भूमि-क्रान्ति को सफल बनाने के लिए वे १६४५७ तक अखंड
पद-यात्रा के सकल्प से निकल पड़े हे ।
हे हट 2
चिरगाँव का सत्संग
आज चिरगाँव मे डेरा था । दो मील दूर तक श्रद्धेय
दद्दा* सेकड़ो पुरवासियो को साथ लिये वावा को लिवा
लेने आये थे । समूह मे सुश्री महादेवी वर्मा तथा
कविवर “दिनकर भी थे ।
रास्ते भर कीतेंत-भजन का भ्रदूभुत आनन्द रहा ।
रू श्री मेंघिलीशरणजी गुप्त
१३
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