राजनीति विज्ञान के सिद्धांत | Rajniti Vigyan Ke Sidhant
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
466
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ पुखराज जैन - Dr Pukhraaj Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजनीति विज्ञान को परिभादा, झषेत्र तथा स्वरूप... 9
का समूह मात्र या, जो आगे चलकर कुलों और जनपदों में विकसित हुए । यूनानी
इतिहास मे इन्ही को नगर-राज्य कहा गया है। धीरे-धीरे ये नगर राज्य परस्पर
मिलकर सपो में सगठित होने लगे । यूनान के 'एचिनियत लौग' ओर “एक्यन लौग'
इस प्रकार के संघ राज्या के ही उदाहरण हूँ । प्राचीन भारत में इसी प्रकार के
नगर राज्यों दे परस्पर-समझिद होकेर-वश्जि सघ' ओर... 'अन्धकवश्णि संघ का
निर्षाण किया । इसके पश्चात् विजय और पराजय के चक ने हमें वतंमात राष्ट्रीय
'राज्यों के युग में लाकर खड़ा कर दिया और वर्तमान समय में हम “विश्व सघ' की
कस्पना: करने लगे हैं ।
कं राज्य के इन बदलते हुए रूपों के साप ही झाय मतुष्य के राज्य विफ्यक
[विचारों में भी परिवतेन हों रहा है । प्राचीन काल में राज्य और उसकी आज्ञाओं को
वी समझा जाता था, लेकिन वर्तमान राननीतिक विचारों के अनुसार राज्य की.
मठ दकजक आफिकपस-यभयणो निहित_न. होकर स्वसाघारण
निहित द्ोती है. । राजनीति विज्ञान इस बात की भी वियेषना करता है कि
रूप से लिक विवारों का विकास कँसे हुआ और इसे विकात ने राज्य के स्वरूप को
लोग -प्कार प्रभावित किया 1
सोक रास्य के वर्तमात का. अध्ययन--ऐतिहासिक विकास के परिणामस्वरूप
मान समय में राज्य एक विशेष स्वरूप को प्राप्त कर चुका है जिसे 'राष्ट्रोप राज्य
बहा जाता है। आज की स्थिति में यह राष्ट्रीय राज्य मनुष्यों वा सर्वोपरि व
सर्वोत्कृष्ट समुदाय है और अन्य कोई भी समुदाय राज्य से प्रतिस्पर्दां नहीं कर
सकता । राजनीति विज्ञान वर्तमान समय में राज्य के स्वरूप, प्रयोजन, उद्देश्य और
पर 1'है ।*संज्दध,के कार्यक्षे के दो रूप हैं-आन्तरिक और
नहीं कर सकता हैं । वी. और हा और सुम्यवस्था की रु पल स्मरएना, देशवासियों की चतुरमुली
गये _स्वशासन का. _काय सचालन: . राज्य के आन्तरिक
विज्ञावों के सन्दर्भ
उदाहरणाे, काल भ्ौर हाय के वाह कार्यक्षेन के सन्तमंत रीय सम्बन्ध,
है और मेश्डूगले, गहू तथा विश्वशास्ति से सम्बभ्वित समस्याओ का अध्ययन किया.
मनोविज्ञान की ओर,
राजनीति विज्ञान, झंपर का अध्यपन--राज्य का अस्तित्व मानव जीवन को श्रेष्ठ
रखता या, आम अपने योकि मातव जोवन को श्रेष्ठठा की कोई सीमा नहीं है,
सीगोलिक आधारों की भेस्वरूप को अन्तिम तही कहा जा सकता है | वर्तेमान समय
सा कट्वारा राज्य के स्वरूप, उद्देश्य और कार्षेक्षेतर के सम्बन्ध में
आज सा किया जा रहा है । उदहरणार्य, समरेयदादी विचार
नीतिक जीवन की रैज़्य द्वारा आाधिक जीवन को भी नियस्त्रित किया. जाना. चाहिए
इस क्रम मे राजनीतिकेशावादी विंदारवारा के अनुसार राज्यहोन समाज की स्थापना,
ये हो वे सस्याएं है. व्यक्ति वादी राज्य के कार्यो को सीमित करने के पक्ष में हैं तो
की मानव निमित अन्य समुदायों के समान ही समझते हैं। इन संवसे
पे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...