उद्योग और रसायन | Udhyog Aur Rasayan
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
483
श्रेणी :
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No Information available about गोरखप्रसाद श्रीवास्तव -Gorakh Prasad Shrivastav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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तथा नाइट्रोजन के अन्य यौगिक (कम्पाउण्ड) वनानें के लिए भी इस्तेमाल होने छगा
है। इसीछिए वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का उपयोग करने का प्रयात किया गया है।
इसके लिए वायु को एक विशेष विद्युत भट्टी में गरम करके नाइट्रोजन औक्साइड बनाये
जाते है। इस भट्टी में विद्युत-चुम्वक का ऐसा प्रबन्ध होता है कि चाप (आर्क) चन्द्रा-
कार रुप धारण कर लेता है ।
इस प्रकार उत्पन्न नाइट्रोजन ऑक्साइड को एक आक्सीकरण वेश्म (चेम्यर)
में ले जाकर वायुमण्डलिक आवसीजन द्वारा उसका बोर उच्च आक्साइड बनाया
जाता है। इसके बाद चूना, सोडा, पोटास अयदा अमोनिया जैसे पैठिक पदार्थ' से
उसका सयोजन कराया जाता है। मूख्त सर दिलियम ऋुक्स द्वारा आविष्छृत्त प्रत्रिया
(प्रकम' ) को पहले मैकटूगल और हावेल्स ने अमेरिका में और वाद में वर्कलण्ड तथा
आइड ने नावें में इस्तेमाल किया। जर्मनी में वने पीठ (वेसेज़) मारे भेजे जाते थे।
और वहाँ से वे नाइट्रेट बन कर लौटते थे, क्योंकि नावें में विद्युत शक्ति सस्ती थी।
सायनामाइड विधा (प्रक्रिया) आज जर्मनी के एक बहुत वडे उद्योग का आधार
बन गयी है। इस प्रक्रिया में साइट्रोजन को कैल्सियम कार्वाइड के साय विद्युत भट्टी
में गरम किया जाता है। नाइट्रोजन प्राप्त करने के लिए द्रव वायु को प्रभागश उदाला
जाता है। हाइड्रोजन बताने में प्रयुक्त वाटर गैस या प्रोड्यूसर गैस के अवशेष के रुप
में भी नाइट्रोजन प्राप्त होता है। सायनामाइड अपने रसी रुप में खाद के लिए इस्तेमाल
कियां जाता है। जल से सम्पकं होने पर साधारण ताप पर भी इममें से धीरे-धीरे
अमोनिया का उद्विकास होता है, जिसे मिट्टी में मौजूद नाइट्रिकाइग जीवाणु नाइ-
ट्रोजन के ऐसे यौगिको में परिवतित कर देते है, जिन्हें पीघे बडी सरछता से ग्रहण वर
लेते है।
प्रथम महायुद्ध मे विस्फोटक तैयार करने के सिलसिले में नाइट्रोजन-हाइड्रोजन के
संयोजन (कॉम्बिनेशन) से अमोनिया बना कर वायुमण्डलिक नाइट्रोजन के स्थिरी-
करण का व्यापक विकास किया गया था। और तब से यह विधा अमोनियाई
जर्वरकों के उत्पादन का आधार ही बन गयी है।
पोटापियम उवंरक तो मुख्यत स्टासफुटें और एलास्के-लोरेन वाले प्राजृतिक
क्षेत्रो से ही प्राप्त होते हूं तथा सल्फेट, क्होराइड अथवा मिधित लवण के रूप में उनका
प्रयोग किया जाता है।
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