तत्वाबोधान | Tatvabodhan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
963 KB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीमते शमाचुजाय नम! |
रदस्पोध्दाटनकार का पहला आश्ेष,
और उसका समाधान। '
रहस्ये।दूघाटनके कतीका समीप यह है कि श्रीरामान-
न्दीय. वैष्णवगण श्रीरामानुजसम्प्रदायावलस्वी न. रहकर
स्वतन्त्र हो जायें, और श्रीरामानुज सम्प्रदायसे अपने सम्प्र-
दायको मिन्न मांग । इस अमीएकी सिद्धिक छिये उन्हेंनि
““रहस्पोद्घाटन ” भे सबसे पहले श्रीरामानन्दीय वैध्णवॉको
यह दिखनिका यत्न किया है फि श्रीरामानुज स्वामीजी
श्रीरामानन्दीसेंकि आाचायेंमि नहीं है | वर्षों नहीं है? इस-
को सिद्ध करनेके छिये उन्होंने यह. युक्ति बताई है कि
' श्रीराममन्त्रराज श्रीरामानुजीय परम्पर मे नहीं मिछता ” |
दे छिखते हे कि ” यदि श्रीरामानन्दीय .'वैष्णव श्रीरामानु-
जीय परम्परामि होति तो अवश्य श्रीराममन्त्रराज का पता
उनकी परम्पसंभ होता * । ' श्रीरामानुजीय परम्परामि श्री-
राममस्त्रराज नहीं मिछता ? इस कथनका अभिप्राय कया ?
यह हम समझ नहीं सके। यदिं परम्परा शब्द गुरु परम्परा
नामक पुस्तक छिया गया हो तो, उस पुस्तकमे श्रीराम-
मन्त्र राजका न मिलना कोई बात नहीं है; क्यों कि गुरु-
परम्परामि म्नेंकि ठिखनेका नियम नहीं है । प्राय? मन्त्र
छिखे ही नृहीं जाता | और उस पुस्तकमे श्रीराममन्त्र
ड
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