नाटक और कहानियां भाग २ | Natak Aur Kahaniya Bhag-ii Khand-15

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Natak Aur Kahaniya Bhag-ii Khand-15 by श्री अरविन्द - Shri Aravind

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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352 नाटक और कहानियाँ घरपर नहीं होते तो मुझे कभी-कभी मारती भी है । हां, उसके दांत जरूर तोड दो । मैं बहुत खुन होऊंगा | अलमुईन -- मेरा हसमुख शैतान । खातून -- तुम उसे अपनी मासे नफरत करना सिंखाते हो * हम सभीमें दोजख- की आग छिपी है, लेकिन वह इसानी शर्मो-हया और अल्लाहकी मेहरबानीसे मुहरबन्द है। लेकिन तुम ! तुम उस ताले और मुहरको तोड़कर नरककी भरपूर लपटोको उठाना चाहते हो, आम इंसानों में पाये जानेवाले घुंएके बादलों - से तुम्हारा जी नहीं भरता । यह न समभना कि थह बैतानकी पुषड़िया सिर्फ अपनी मसे गैर कुदरती वगावत करके रुक जायगा! तुम्हें इसके लिये पछताना पड़ेगा । (जाती है) फरीद -- अव्वाजान, लड़की, उफ, क्या लड़की है ! लड़कियोंमें वस एक है! मुझे वह लडकी खरीद दो । अलमुईन -- अरे फादते उल्लू ! कौनसी लड़की ? फरीद -- गुलामके वाजारमें दस हजार दीनारमें मिलती है। क्या हाथ हैं! क्या आखे है! कैसे पुट्ठे और कैसे पांव है ! मेरे वाजू उसके गिर्द धूम जानेके लिये बेचैन है। अलमुईन -- मुहव्वतमे मदहोश परिंदे मेरे दिलफेंक सलोने, तुमने भी तो हमारे वजीरके नूरे नजर शोख नूरु्दीनसे कम लड़कियोंको नही जीता है। मेरे डाकू वुमने मुहरें तोड़ी हैं और ताले चटकाएं हैं। ्‌ फरीद -- यह आपकी ही तो देन है और आपने और मांने मेरे ऊपर इतना खराब कूबड लाद दिया है कि लड़कियां मुझे देखकर ताने मारती हैं । मुकके सिर्फ अन्धी लड़कियोंमिं ही मौका मिल सकता है। छि: बार्मकी बात है । अलमुईन -- कुवड़े, अपनी वांदीसे कैसे मुहब्बत वसूल करेगा ? फरीद -- वह मेरी वांदी होगी इसलिये मुझसे प्यार करना ही पड़ेगा । भलमुईन -- कुवड़े, चल वाजी लगा लें । तू उससे निकाह करेगा ? क्या सुलतान- की बेटी पर आंख लगी है ? अलमुईन -- कया, वजीरकी, मेरे खास दुष्मनकी भतीजी ! भरे मसखरे, वहां तेरी थादी नहीं हो सकती । दर फरीद -- मैं भी उनसे नफरत करता हूँ. और कुछ हृदतक इस कारणसे भी उससे दादी करूगा । शादी करके उसे दिनमें दो वार पीटा करूंगा और उनको ख़घर भेजता थे




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