भारतीय आर्थिक प्रशासन | Bharatiy Arthik Prashasan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० भारतीय आर्थिव प्रशासन (शि) नियोजन (ए15ाशाड)--सबसे पहले प्रशासन को जिस सद्देश्य वी प्रति करनी है, उसके लिए एक रूपरेखा तैयार करनी होगी कि उद्देश्य वी पूर्ति के लिए क्या क्या कार्य विये जा सकते है, उनमे से कौन-तौन से कार्य वर्तमान परिस्थितियों मे उचित हैं या प्रशासन की सामाध्य था क्षमता से वाहर नही है । इसके साथ ही यह निश्चय करना होगा दि उन कार्यों के लिए बीन सी रीति अपनायी जायगी । मान लीजिए सरकार वो अपनी आय मे वृद्धि बरनी है तो पहले तो यह विश्वित क्या जायगा कि भाय बृद्धि के लिए कितनी रकम करो से वसूल को जायगी तथा वितनी रकम ऋणो से प्राप्त की जायगी । इसके पश्चातू यह निश्चित करना होगा/ कि वरो से वसुल की जाने वाली रवम के लिए कितने प्रत्यक्ष कर लगाये जायेंगे । इसके बाद यहू निश्चित करना होगा कि प्रत्यक्ष कर कौन से मदो पर बढ़ाये जायेंगे तथा अप्रत्यक्ष कर कौन से मदी पर बढाये जायेंगे या बिन-पिन नये मदों पर कर लगाने वी व्यवस्था होगी ? इस काम को ही नियोजन कहा जाता है । (२) संगठन (01इ401९80001)--जब उदेश्य की पूर्ति के लिए उचित रुपरेखा तैयार हो जाती है तो उसके लिए साधनों को समदित करने का काम आरम्भ क्या जाता है । भूमि या मकान (या केवल स्थान), पूंजी, कच्चा माल तथा विशेषज्ञो का प्रबन्ध क्या जाता है । इस प्रवार काम वो पूरा करने के लिए उचित संगठन वी स्थापना की जाती है । (३) कमेंचारियों को ब्यवस्या (502008)--नियोजन तथा संगठन के पश्चात्‌ सारी योजना को पूरा करने के लिए सभी वर्गों के कर्मचारियों (श्रमिकों से लेकर उच्च अधिशारियों तक) की नियुक्ति की जाती है तथा उनके लिए पानी, बिजली तथा काम करने सम्बन्धी अन्य सुविधाओ की व्यवस्था को जाती है । जोक क्मेंचारी प्रशिक्षित नही है उनके उचित प्रशिक्षण का भी प्रवन्ध किया जाता है । (थी निदेशन (00०८०ण)--आधिक प्रशासन का चौथा काम है उद्देश्य की पूति के लिए विभिन्न व्यक्तियों को अपने-अपने कार्य तथा वायेंप्रणाली के सम्बन्ध में स्पष्ट एवं पर्याप्त आदेश देना । यह आदेश या निर्देश समय-समय पर सूचना, आदेश या मार्गदर्शन के रूप में सम्बन्धित ब्यदितियों या विमागा के पतस भेजे जाने चाहिए तथा सबको यथासमय मिल जायें, ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए । (शी) समन्वय (0०-07600411000 --किसी भी योजना की सफलता के लिए उसके सब अगो या विभागा में उचित तालमेल या समस्वय अलग-अलग विभागों की समय-समय पर मीटिंग वुलावर सब व्यक्तियों में आपसी विचार-विमर्श द्वारा किया जा सकता है । समन्वय वे बिना व्यवसाय के प्रवन्य वा संतुलन विंगडने का भय रहता है । (६) रिपोर्ट देवा (२०७०8) जो काम चल रहा है उसवी प्रयति की निश्चित जानकारी बहुत आवश्यक है । अत्र उसी प्रगति की साप्ताहिक, भासिक या वापिव रपट तैयार वी जाती है और संगठन वे अध्यक्ष को भेजी जाती है ।




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