पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्वतन्त्रता आन्दोलन का इतिहास | Purvi Uttar Pradesh Men Svatantrata Aandolan Ka Itihas

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Purvi Uttar Pradesh Men Svatantrata Aandolan Ka Itihas by भुवनेश्वर सिंह गहलोत - Bhuvaneshvar Singh Gahalot

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ की भाणा की जॉस्तिम समपस्काए है । मौँसते के शब्द में वह मधिस्यवाणी हिसी थी 'चिस भतयों ग भान्दॉलन का मोभठेीश करते समय महात्मा गाँधी मैं सत्य कर दिलाया । गॉँपालकृष्ण गौलले मैं स्ववैशी तथा बच्चिच्कार बाम्वॉलनाँ का ठत्तैल करते जुए कहा' कि परमौस्कृष्ट स्वदेशी मैं मायूमुमि के प्रति बदायुराग की थाँ माथना साकार है वह इतमीं गदरी भौर तीव्र है कि उसके सुमरण मसाज ये रॉमाच हा शाता' के भर उसका स्पी तो व्यभितगत सोमायी सै बहुत कपर शठा' बैता है । स्पवैश के इस भाव शी को व्यवहार मैं लाने के लिए भावश्यक विचार की रुपऐसा' प्रस्तुत करते चुप दन्हाँते शपकरणा कबाँग का पुनरुश्याम करने तथा ढसे चायुनिक रुप देंगे के महत्व पर बोर दिया । राजनीतिक देख का' उस्तेख करते जय दन्हंने मात के लक्योँ तथा चाकादागमी पर प्रकाश डाला 1 रस भिषेशन मैं बालगंगा'वर लितक के कैतुल्व मैं रान्ट्वादियाँ के एक वर्ग मै उदाएवा'दियाँ की * राजमितिक सिज्ा वृ्ि को मी की सीख सिंदा की भीर रथ बात का प्रतिपावन किया कि संगठन निन्किय प्रतिरोध के माने की अपनाकर ही भारत के रान्ट्रीय भोगन पर चिरवेशी मौफरशाओी के ब्रयुल्य को समाश्त कर सकता कै | ब्खोंते यह भी कहा कि डिश माल भौर शतारी शिगणा संस्वानी का' भी संगठित भौर नितर गद्िच्कार किया लाना था ये, परस्तु उवारवादी 'निलिकिय प्रतिरोध को कप बिक रूप में भव्यवहा सक मानते थे भौए उनका चिचाएं था कि कसर राय ब्रगति भव होगी । एस बिविशन मैं साहस के दोनों बना दाता “स्वराण्य की चपते चपते दाग से व्याख्या की गयी । खदाएवा दिया के भ्लुसारं ससका तास्पव चौभनिवेशिक थाथाएं पर स्वशासन था' बगक्ति उनयानी इसका भाशय पुर तथा नियम स्वरा दै लेते थे | एस चिभय कै पारिणामृस्वस्प निभा समिति में जाति कटू विनाद जुमे । वाराणसी भवि्विशन मे उस प्रकार संकट के थी बीज नोगे थे इन कल १९०७ के बुत अधिवेशन मैं प्रकट जुआ | कादर, १६०५ मै बालपगाथर तिलक, साला लाचपतराय तथा' विनयनल्दणा मै भगता' मैं रानश्ट्रीयता के निकाल के उदैश्य दे प्रातिका बौरा किया । २२ गई, ।तॉपाल्कू्ण' गाली, पृ १६० |... सर गुदा! रेट वही $ दर रद |




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