भोजपुरी और नेपाली बोलियों का तुलनात्मक अध्ययन | Bhojpuri Aur Nepali Boliyo Ka Tulanatmak Adhyayan

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Bhojpuri Aur Nepali Boliyo Ka Tulanatmak Adhyayan  by रजनी कान्त मणि - Rajani Kant Mani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ग्रियर्सन ने बिहारी भाषाओं तथा उपभाषाओं के प्रकरण में भोजपुरिया शब्द का प्रयोग भाषा के अर्थ में किया है जो निम्न पद में दृष्टिगोचर होता हे- कस कस कसमर किना मगहिया । का भोजपुरिया वी तिरहुतिया 115 क्या सर्वनाम के लिये ”कसमर - (सारन जिले का एक स्थान) में कस , मगही में किन , भोजपुरी में का तथा तिरहुतिया (मैथिली) में की होता है । ऊपर के विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि मुगल-शासन के अन्तिम काल से भोजपुरी अथवा “भोजपुरिया” शब्द जनता तथा भाषा में काफी प्रचलित हो गया था। भाषा के अर्थ में लिखित रूप में इसका सर्वप्रथम उल्लेख सन्‌ 17४9 ३0 में उपलब्ध होता है। सर जार्ज ग्रियर्सन ने अपने लिंग्विस्टिक सर्वे में एक उद्धरण दिया हे- जो इस प्रकार हे- 1789 - दो दिन बाद, सिपाहियों का एक रेजिमेण्ट जब दिन निकलने पर श्र से होता हुआ चुनारगढ़ की ओर जा रहा था, तो मैं गया और उसे जाते देखने के लिये खड़ा हो गया। इतने में रेजीमेण्ट के सिपाही रूके और उनके बीच के कुछ लोग अँधेरी गली की ओर दौड़ पड़े। उन्होंने एक मुर्गी पकड़ ली और कुछ मूली-गाजर भी उठा लाये। लोग चीख उठे । तब एक सिपाठी ने अपनी भोजपुरिया बोली में कढा - इतना अधिक शोर न करो । आज <«म लोग फिरंगियों के साथ जा रहे दें; किन्तु <म सभी चेतसिंह की प्रजा हें और कल उनके साथ भी आ सकते हें । तब मूली-गाजर 5... ग्रियर्सन - बिहारी भाषाओं तथा उपभाषाओं के सप्त व्याकरण, भाग 1 (ग्रियसन- सेवेन ग्रामर्य आफ द. डायलेक्ट्स एण्ड सबडायलेक्ट्स आफ बिठारी लैंग्वेज पार्द वन) मुख पृष्ठ पर ।




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