ब्रह्मसूत्र वृत्ति मिताक्षरा का समीक्षात्मक अध्ययन | Brahmasootra Writti Mitakshara Ka Samikshatmak Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
60 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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पमताक्षरा पीत्त ब्रहमसुन के सभो शारीरफ भाष्य से अलंकृत 555 सुत्रों तथा 1%।
आधिकरणों मैं प्राप्त होती हैं। प्रारम्भ के वारों छ्रों 'न्जधातो '्रहम पण्ज्ञासा , “जन्मा-
चस्ययत: , शास्त्रयोित्वातृ , मै तततुसमन्वयातृ , मैं वुषत्ति का स्व्प पविधाद है। इनमें
सुत्रों के तात्पर्ष के साध-साथ अन्य आक्षेपों का समाधान करते हुए अपने 1प्वेवन के प्रमाण
में ध्ीति वाक्यों श्वं भामतीकार आप पूर्व मनी घियोँ के कथन का पिशेष हूप से उल्लेख प्राप्त
होता है। वापस्पाति पिमम्र से सम्बीन्धत इनके द्वारा प्रस्तृत विवार ्ल्ासाधिकरण का इस
प्रकार है-
न वापस्प्तिभिश्रानुसापरणस्तु -अत्र धुत्र क्तीव्याति पढें नाध्याहतब्यम, न वानु-
वादत्वदोष:। सप्रयोणनानुवांदे दोषाभा पातू। कततव्यपदाध्या हा रमात्रेण व कथमनुवाद त्व-
परिहार: विष्णल्पांगु यकटव्यो 5जापमत्पाय” इत्यादौ तव्य प्रत्यय सत्यप्यनवा पद त्वदषीनातृ
अप्रा प्तत्वैनाघुवादत्वे , कर्त्तव्यपदाध्या हार विनापपि तत्त्वमासि” पाए 6*8०१०]
अयमा त्मा शटम पु माण्डु्-2 पुतु० 2+5+1%9 पठ॒० 44०5] इत्यापदवदनुवा दत्वसमवा-
न्नहनुवादत्वपपरहा रायाध्याहार:।
वििकिक ननिलिक किक गकिक' .... शॉमकक मदर कम विडियो सभा नकेल है मिसाल लिन वेनकनपीन, नविक ैवलिनिक आवक ऑफ सबका ही सवलव सिक्का वन पहालिलेकक' सम अपिकक | 'शिवेलक अमिकि डिक मलिक: कर.
| ० ब्रहूमसुन्न > 1*1*1
2० ब्रहबकत - 1*|*2
3० ब्रहूमप्त्र > 1*1*3
धन 'हूमकुत्र - | +1 * ५
ठ* पमताक्षरा > 1*1*1
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