बापू की बात | Bapu Ki Baat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
105
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्श दूसरी वार
विधवा हैं, दुखी हैं. और मेरे कारण सब समय यहाँ
भीड ढछगी रहती है । उन्हें कष्ट होता होगा ।
मैंने प्राथना कीन-तब आप मेरे पास ठहरें ।
परन्तु इसके पहले आप मेरा स्थान देख लें कि वहाँ
ठहदरने में आपको सुविधा होगी या नहीं । आप यदि
मेरे यहाँ ठहरंगे तो मैं अपना अह्दोमाग्य समझू गा ।
यद्यपि मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आपका आतिथ्य
कर सरकूं ।
मददात्माजी ने कदा--मुझे ठइ्दरने में . आपत्ति
न होगी । मद्दादेव जाकर स्थान देख आवेगा ।
मैंने कहा--महादेव वगेरइ से ठीक न होगा ।
आप ही स्वयं कष्ट कर ।
“कोई इज नहीं, मद्दादेव सब कुछ कर
लेगा””--कइदकर उन्होंने आवाज दी--'“मद्दादेव !””
मद्दादेव के आने पर मद्दात्माजी ने गुजराती भाषा में
उनसे कहा--यद एक ग्रहस्थ सजन हैं । अपने यहाँ
ठहदरने को मुझे निमन्त्रित करते हैं । अपने को तो
अन्यत्र कहीं ठदरना दी है; अतएव तुम इनके यहाँ
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