बापू की बात | Bapu Ki Baat

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Bapu Ki Baat by दामोदरदास खंडेलवाल - Damodardas Khandelwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्श दूसरी वार विधवा हैं, दुखी हैं. और मेरे कारण सब समय यहाँ भीड ढछगी रहती है । उन्हें कष्ट होता होगा । मैंने प्राथना कीन-तब आप मेरे पास ठहरें । परन्तु इसके पहले आप मेरा स्थान देख लें कि वहाँ ठहदरने में आपको सुविधा होगी या नहीं । आप यदि मेरे यहाँ ठहरंगे तो मैं अपना अह्दोमाग्य समझू गा । यद्यपि मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आपका आतिथ्य कर सरकूं । मददात्माजी ने कदा--मुझे ठइ्दरने में . आपत्ति न होगी । मद्दादेव जाकर स्थान देख आवेगा । मैंने कहा--महादेव वगेरइ से ठीक न होगा । आप ही स्वयं कष्ट कर । “कोई इज नहीं, मद्दादेव सब कुछ कर लेगा””--कइदकर उन्होंने आवाज दी--'“मद्दादेव !”” मद्दादेव के आने पर मद्दात्माजी ने गुजराती भाषा में उनसे कहा--यद एक ग्रहस्थ सजन हैं । अपने यहाँ ठहदरने को मुझे निमन्त्रित करते हैं । अपने को तो अन्यत्र कहीं ठदरना दी है; अतएव तुम इनके यहाँ




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