हमारी संस्कृति की कहानी | Hamari Sanskriti Ki Kahani

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Hamari Sanskriti Ki Kahani by वासुदेव उपाध्याय - Vasudev Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है. भारतीय. संस्कृति का . स्वरूप ब्रह्मावत्त' प्रदेश से. आर्य-संस्क्ति सर्वत्र फैली । थाय॑लोगों मे सदियों के किनारे अपना घर तैयार कर गृहस्थी के कार्य व्मारम्भ किये और . झादिम निवासियों को जीतकर 'अधिकार स्थापित किया । उत्तर भारत के अतिरिक्त अगस्त्य ऋषि ने विंध्य के दक्षिण में '्ाय॑-संस्क्ति का संदेश पहुँचाया था । उसी संस्कृति को श्री रामचन्द्र ने दक्षिण में विस्तृत कर असभ्य निवासियों को आादर्श का सागे बतलाया था। भूमि की उवरा शक्ति तथा वर्षा के कारण भारत घान्य से भरा था, जिसकी समृद्धि की ख्याति देश-विदेश में फैल गयी । पूच॑-मध्ययुग के आरम्भ से विदेशियों की आँखें भारत पर पड़ने लगीं। तुकलोग भारत को सोने का खजाना समभते रहे। इस्लाम-ध्मं के अभ्युद्य के कारण मुसलमानों ने भारत पर आक्रमण कर लोगों को इस्लाम-घर्में ग्रहण करने के लिए बाध्य किया था। अफगानिस्तान के सुल्तानों ने देश की अतुल सम्पत्ति लूट लेने का बीड़ा उठाया था; जिनमें मुहम्मद गजनवी का नाम सर्वप्रथम रहा । सातवीं सदी में सिन्ध के मागे से अरवबवाले भारत में घुस आये थे श्र सुलतान तक अपना राज्य कायम किया था । अरववालों से पहले भी सिन्ध के मार्ग से शक-जाति के लोग मध्यएशिया से आये थे ; परन्तु उन लोगों से हिन्दू-घर्म स्वीकार कर लिया श्रौर भारतीय बन गये । सारांश यह है कि विदेशी ाक्रमणकारियों को खींचने का एक मात्र कारण भारतीय बैभव था और भौगोलिक परिस्थिति ने विभिन्न ' प्रकार से उस कार्य मे सहायता पहुँचायी थी । क्या. सिकन्दर, शक, हूण तथा क्या इस्लाम धर्माचुयायी, सभी ने पहाड़ी दर्रों से ही भारत में प्रवेश कर राज्य-विस्तार किया था । भारत की ओार्थिक उन्नति से भौगोलिक स्थिति ने पूरी तरद से हाथ बँटाया । भारत छापने सुन्दर चख्र तथाः विलासपूर्ण




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