दो घंटे में भारतवर्ष | Do Ghante Mein Bharatvarsh

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Do Ghante Mein  Bharatvarsh by एन० एल० माथुर - N. L. Mathur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ ७ 2) ' स्वभाव श्रीर विचारः--(१) चंण के लिहाज से घर्मंडी होना २-जातियों का चढ़ना । (दे) छूतछात का बढ़ना । धर्मः--(१) नये देवता । (र) जीवन -का चालीस संस्कार । (३) यज्ञ-तप-इंश्वर आत्मा पर बहस । (४) झार्यों और शद्टों के खयालात । कारोवारः--(१) खेती । (२) दुस्तकारी की चीजें । शासन--उश्वमेघ यज्ों से प्रगट होता है कि छोटे-छोटे राज्य स्थापित थे । शिक्षा--(१) सूत्रों का बनाना । (२) पाणिनी का श्रप्मध्यायी नामक ग्रन्थ बनाना । (३) शून्य का आविष्कार । (४) ब्योसेट्री का ज्ञान (४0) बीमारियों की चिकित्सा । ३-रामायण और महाभारत काल की रूपरेखायें रदन सहनः--रामायण ओर मद्दाभारत के समय में समाज की दशा बदलना, . काश्तकारी श्यौर दस्तकारी झादि पेशों पर झपनी जिन्दगी बसर करना । जाति भेद बढ़ना । धर्म--न्रह्मा, विष्णु] और शिव की पूत्ा, यज्ञ करना, चांडालों से घूणा । खिर्यो की दुशाइ--पतिन्नता 'गर सुशिक्षित . होना । सती की प्रथा । पद की नौंच । रीति-रिवाज:--एक से झधिक विवाद । वाल-विवादद की प्रथा न होना । सतरयंवर । शूद्रों में शादी करना श्र उनके दाथ का खाना खाना चुरा सममना ।




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