पश्चिमी यूरोप भाग १ | Paschim Europe Prat -i
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
536
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)का
जर्सन जातियाका प्रवेश, रोम सान्नाज्यका अघःपतन १३
भागेहुए लोग ऐएड्यिदटिक समुद्रके तटपर बे आर उन्होंने वनिस नामके
विशाल श्रार सुन्दर शहरकी स्थापना की ।. सं० ५३४ पश्चिमीय रोम
साम्नाज्यके पतनका दिवस समभ्ता जाता है । आर मध्ययुगका आरम्भ
इसी दिवससे माना जाता है। वात यह थो कि से० ४४२ में थियोडो-
सियन नामी राजा रोमसाम्राज्यके कार्यका भार अपने ही लड़कोंमें बांट
गया था ।. पार्चिमीय राजाओंनें राज्यकार्स ठीक नहीं किया ।. आशेषट
बाहरी जातियाँ भी उनके राज्यमें इधर उधर घूम रही थी । आर
साम्राज्यकी जर्मन सेना सनसाने राज्यका विगाइती श्रौर बनाती थी 1 से ०
£३३ में इन्होंने चाहा कि इटर्लाका एक तिहाई माल हमें मिल जाय ।
जब सम्नाठन इसे रुवीकार नहीं किया तो उनके सरदार रंडेसरन श्ाखिरी
पश्चिमाय सम्राट्को निकाल दिया ।
एसा कर झडिसरन पूर्वीय सम्रादके पास राजदणड, छत्र आदि
सेज दिया ओर उनसे आज्ञा सौंगी कि “मुझे अपना प्रतिनिधि समझ
राजकार्य करनेकी आज्ञा दीजिये” । इस घटनाका बड़ा सहत्व है । रोस-
साम्नाज्यकी घाक इतनी बैँंध गयी थी कि किसी नये राजाकी इतनी हिम्मत
न होती थी कि केवल अपने पराकमस ही रोम ऐसो राजधानीमें कोई
नया राष्ट्र स्थापित कर सके । राज्यका स्थापन केवल वाहुबलसे नहीं
होता 1 यह आवश्यक है कि प्रजा राजाकों हृदयसे स्वीकार करे । यह
संभव नहीं था कि इतनी शताब्दियोंसे खुवद्ध परम्परामत रोमसाम्राज्यका
स्वामी एक झनजान असभ्य जातिका सेनापति हो जाय झार आत्मा-
सिमानी सभ्य रोमन लोग जो झपने राज्यका श्रनन्त समभते थे, उसको
स्वामी मानसें । ओडेसर बुद्धिमान था । वह इन वातोंको जानता था !
चह यह जानता था कि नासके प्रतिनिधि बने रहनेखे वास्तविक राज्य
हमारे ही हाथमें रहेगा ओर यदि ऐसा बहाना न किया जाया तो नव-
स्थापित्त राज्य नं हो जायगा। इन सबपर ध्यान देकर शडिसरने
पूवाय सम्नाटके पास अपने दूत भेजे ओर कहला मजा कि--'झाप तो स्वयं
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