हिन्दी की गद्य शैली का विकास | Hindi Ki Gadya Shaili Ka Vikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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No Information available about शुकदेव बिहारी मिश्र - Shukdev Bihari Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उत्पत्ति ओर विकास
भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा व्यक्ति श्रपने विचारों का
विनिमय दूसरे व्यक्ति से करता हे। भाषा मनुष्य जोवन के लिये
श्रत्यंत श्रावश्यक बन गयी है | प्रत्येक राष्ट्र में, देश में कोई न कोई
भाषा श्रवश्य प्रचलित है श्रौर उसी भाषा के द्वारा बढ़ँ के व्यक्ति
श्रपना काय सरलता पूव क चलाते हैं ।
भारत की प्राचीन भाषा प्राकृत थी, जिसको कि भारत की सब
'प्रचलित भाषाश्रों की जननी का रूप दिया गया है । हज़ारों वर्ष तक
यह देश की भाषा रही श्रौर एक से एक बढ़िया ग्रन्थ इसमें लिखे
गये । उधर कालिदास के श्रमूल्य ग्रन्थ, वाल्मीकि की रामायण
छादि संस्कृत की श्रमूल्य निधि हैं ।
संस्कृत श्रौर प्राकृत के बढ़ने के साथ श्लाथ एक दृढ़ भाषा को
जन्म मिला जिसका कि नाम मागनी पढ़ा । एक लम्बे समय तक
इसका प्रभाव भारत में रहा श्रोर प्रांतिक रूप में यह लोक प्रिय भाषा
हो गयी । बहुत से बोद्ध ग्रन्थ भी पाली उपनाम मागधी में लिखे गये ।
पाली उपनाम मागधी के बढ़ने से श्रोर उसमें उच्चकोटि के ग्रन्थों
के लिखे जाने के कारण सब साधारण जनता को इस बात की श्राव-
श्यक्रता पढ़ी कि कोई ऐसी भाषा अपनायी जाय जिसको सरहता-
पूष क सब लोग शसमक सकें ।* इस दृष्टिकोण को सम्मुख रखते
हुये जो भाषा जनता के सामने श्रायी वह दूसरी प्राकृत कहलायी |
यह भाषा श्रागे थलकर शपश्र श में बदली जिसके साथ साथ
कई भारतीय भाषावें उंपडी जिनमें हिन्दी भी थी |
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