पाठशालाप्रबन्ध और स्वास्थ्य | Pathashalaprabandh Aur Svasthy

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Pathashalaprabandh Aur Svasthy by सीताराम जायसवाल - Sitaram Jaiswal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( दे समाज का दित दोता है। समाज के लिए योग्य नागरिक श्राव- श्यक हैं, ऐसे शिक्षक, चिकित्सक, शासक, व्यापारी शादि आवइयक हैं जो समाज के कार्य को चला सकें । गत: शिक्ताछय समाज के छिए इन व्यक्तियों को प्रस्तुत करता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि शिक्ताउय केवल बह स्थान नहदीं है, जह्दं विद्यार्थी केवछ पढ़ाये जाते हैं, बरन्‌ शित्ताछय वह स्थान है. जो सम्पूर्ण समाज का प्रकाशगृह है । इसीछिए कहा जाता है कि यदि आप किसी समाज की वास्तविक दशा से परिचित होना चाहते हैं, तो उसके शिक्ताखयों को देखिए । यदि डिक्ताखयों में दिन्ण काय 'भलीभाँति दो रहा है तो समाज की दा अच्छी होगी, अन्यथा नहीं । दुसरे शब्दों में समाज की अच्छाई और बुराई शिक्षाठय में होनेबाते शिक्षण-कायं पर निभर है। यदि दिक्ताउय में काय भढीमभाँति न हो तो धीरे धीरे समाज में ऐसे लोगों की बढ़ती हो जायगी जो 'अदिक्षित हैं, असभ्य दें और कामचोर हैं । ढेकिन जब शिक्षा भलीभाँति दी जाती है तो समाज के सदस्य योग्य होते हैं, उनमें समाज का हित प्रधान होता है और वे श्रम का मूल्य सममते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि समाज की गति- विधि का संचालन दिक्षालय से होता है और एक बढ़ी सीमा तक समाज की उन्नति और भवनति दिक्षालय पर निभर होती है । जिस शिक्षाउय का समाज के जीवन में इतना महत्त्व हो, उसका संगठन भलीभाँति होनी चाहिए । यदि शिक्षा का संगठन भली- भाँति नद्दीं होता तो शिक्षाउय प्रबन्ध भी ठीक नददीं रहता । इन्हीं कारणों खे शिक्षा का संगठन अपेक्षित है । शिक्षा का संगठन-- समाज में जो दासन-काय करता है या जो सरकार बनती है, उसका काय दिस का प्रसार भी होता है, और इस कायें के




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