पत्थर के देवता | Patthar Ke Devata
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
350
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ज )
संकेत करके अजय घोप आत्मवृत्ति अनुभव करते हैं ? यह जाननेके लिए,
बहुत मनन और अध्यवसाय की जरूरत नहीं । बस आँखे खोलकर
अपने चारों ओर जो दस-पाँच, बीस-तीस कम्यूनिस्ट, रूसभक्त अथवा
चीनभक्त हें उन्दींको पहिचान लीजिए । यदि आप कलकततें; बम्बई
जेसे बड़े दाहरमें रहते हैं तो दो-चार वार कम्यनिस्टों द्वारा आयोजित
सिनेमाओं एवं प्रदशनियोंमें जाकर देखिए, ।. कम्युनिस्ट पार्टीने इस
देशमें अनेक गुप्त-अडड बनाए हैं, जिनमें प्रगतिशील लेखकसंघ, भारतीय
गणनास्यसंघ, महिला आत्मरक्षा समिति, भारत-चीन मेत्रीसंघ्र, सोवियत-
यूनियन मित्रमण्डल इत्यादिकों प्रायः सभी जानते हैं । इन सब अड्डॉपर
नित्यप्रति कुछ-न-कुछ होता ही रहता है । आप भी जाकर सब्र देख
सकते हैं । आपको वहाँ मजदूर किसान नहीं मिठेगे । वहाँ आप
देखगे उच्च मध्यवगक सजधजवाले पुरुप और नारियां जो नई-नई मोटरों
पर चढ़कर आते हैं । गद्दी लोग रूस और चीनसे थोड़ासा अनाज लाने
वाल जहाजोंको माला पहिनानेके छिए. दौड़ जाते हैं । इन्हीमेंसे कुछ
लोग “भारतीय जनगणक प्रतिनिधि” बनकर मास्को; पेकिंग, वियना;,
बुडापेस्ट इत्यादिकी सेर करते हैं. और संसारकों “शान्ति” का सन्देश
सुनाते हैं ।
ये लोग कौन हैं ? ध्यानसे देखिए; । ये किसान नहीं, मजदूर भी
नहीं । प्रायः सभी अंग्रेजी पढ़े-लिखे उच्च मध्यवगक लोग हैं, जिनके
दाथमं आज हमारे देदाकी राज्यसत्ता भी है । कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ओं को
भी पहिचानिए, । उनमें अधिकतर जमींदारों; पूंजीपतियों; मन्त्रियों,
गवनरों, जजों और राजदूतोंके बेटे, बेटियां, भानजे, भतीजे इत्यादि हैं।
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