पत्थर के देवता | Patthar Ke Devata

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Patthar Ke Devata by आर्थर कोयस्लर - Aarthar Koyaslar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ज ) संकेत करके अजय घोप आत्मवृत्ति अनुभव करते हैं ? यह जाननेके लिए, बहुत मनन और अध्यवसाय की जरूरत नहीं । बस आँखे खोलकर अपने चारों ओर जो दस-पाँच, बीस-तीस कम्यूनिस्ट, रूसभक्त अथवा चीनभक्त हें उन्दींको पहिचान लीजिए । यदि आप कलकततें; बम्बई जेसे बड़े दाहरमें रहते हैं तो दो-चार वार कम्यनिस्टों द्वारा आयोजित सिनेमाओं एवं प्रदशनियोंमें जाकर देखिए, ।. कम्युनिस्ट पार्टीने इस देशमें अनेक गुप्त-अडड बनाए हैं, जिनमें प्रगतिशील लेखकसंघ, भारतीय गणनास्यसंघ, महिला आत्मरक्षा समिति, भारत-चीन मेत्रीसंघ्र, सोवियत- यूनियन मित्रमण्डल इत्यादिकों प्रायः सभी जानते हैं । इन सब अड्डॉपर नित्यप्रति कुछ-न-कुछ होता ही रहता है । आप भी जाकर सब्र देख सकते हैं । आपको वहाँ मजदूर किसान नहीं मिठेगे । वहाँ आप देखगे उच्च मध्यवगक सजधजवाले पुरुप और नारियां जो नई-नई मोटरों पर चढ़कर आते हैं । गद्दी लोग रूस और चीनसे थोड़ासा अनाज लाने वाल जहाजोंको माला पहिनानेके छिए. दौड़ जाते हैं । इन्हीमेंसे कुछ लोग “भारतीय जनगणक प्रतिनिधि” बनकर मास्को; पेकिंग, वियना;, बुडापेस्ट इत्यादिकी सेर करते हैं. और संसारकों “शान्ति” का सन्देश सुनाते हैं । ये लोग कौन हैं ? ध्यानसे देखिए; । ये किसान नहीं, मजदूर भी नहीं । प्रायः सभी अंग्रेजी पढ़े-लिखे उच्च मध्यवगक लोग हैं, जिनके दाथमं आज हमारे देदाकी राज्यसत्ता भी है । कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ओं को भी पहिचानिए, । उनमें अधिकतर जमींदारों; पूंजीपतियों; मन्त्रियों, गवनरों, जजों और राजदूतोंके बेटे, बेटियां, भानजे, भतीजे इत्यादि हैं।




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