खेती बाड़ी | Kheti-bari

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Kheti-bari by रामदीन पाराशर - Ramdin Parashar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इज स्वेतीं की तक़्सीम और बटवारा इमार गाँवों में येतों की तक़सीम श्ीर थटवारा यहुत घुरी तर पर प्रचलित है। कसर दसन में श्राता दि कि किसान का पष गत इस सुद्दाल में है तो दूसरा गत उससे मोल आप मोल दूर दूसरे सुद्दाल में. तीसरा-्वी था इनसे भी पदों अलग दूरो दराज़ पर । इसमें विसान को स्स्ययॉली शादि चने में पड़ी असुदिधा दोनी दे आग पद में यंदी थे वरयंदी नदीं घर सपने । इन बिखर हुए रंसतों पे अआदि का उजाइ भी धहुत दोता र । घर: इनको लेफर ापस में लडयंदो अर सारपीट तक को लौधत आा जानी है । अप्छा दो दि; ज़रमीदार थार रपफगग शाप में सदयोग करके रन इन यलग २ दिख हुए सतों को पक जगद चार सें, जिससे गाँव में सय को ही सुदिधा दो जावे अौर इरपक फिस्दान अपनी ज़मीन दे; यागों धर करेंटों वी चाह, घर अादि हलया कर रघा का उपाय फरले । इस्प तीर एर किन दान वो अपने पंयु शादि एोडन के लिय में परम स्थान मिल जावेगा । दमार गज़पृतासि में कटे चादि से दिग हुए चढ़े २ जाप दखन में घाने हैं । यद्दीं ग्तों के समुदाय मिल चार प्व: धर प्राम कदलाते ऐं बारणग मप्रेशा शामलात चारा पट्टोदारों रु गरदों में कद शामणात अाराज़ी झोर रोर अादि भी हुस्‍्ा बरतों ट । इसके एई मानों सदों हैं कि उस्दकों भी पॉटर रेतों करे जाति । रद लो इस लिये हुझ्ा ररतों है दि रेप रे आम प्रमएंद रे लिये इस्ले माल को जावे कद्टां तो गय दे लड्बतों, युपदतें रे गंरसन के इलये पोगान दना दिए जाएं । रूुएं जलाने को सदर सुहैदा




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