जीवन [मासिक पत्रिका] [वर्ष १] | Jeevan [Maasik Patrika] [Varsh 1]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[रा साथ फंचक नामक नश्वपर सार दोकर जंगल फी राइसों । पं (४) नगर के घादर लाकर उसने गेदझ्े यया चारणकर लिए चरना सारभी के दाय घोड़े वो पित्यद में मेज दिया । किन्तु उसका राजकीय रुप धाए मिक्षक भेप से छिप गई सक्तापा। उसे जाते देख लोग उसे स- बेपा झमिपादन करते थे । राजपृद नामफ नगर में जाकर उसने प्रथम मिक्ता रुप से '्ापमा जघग प्पर्सतस करना निश्चय दिया! उस नगर फे राजा प्रिम्पलार ने उस पुनः गूद्रथाधम में प्रयश परनि बी ये भी पिन्तु सफत मनोरध गधा शोर सि द्वार ने उस के शंधास फो भी पूरतपा खमापएा पर दिया दस रपदेश दा सा रांश यद्द था। शजन तुस्दारी इस छापा हो लिए परय चाद देता हूं । दान का फए पढ़ा दे द.- सिंगा दाग दो द्वार सलुष्य परमाप सोतद सता दै । दिस तरह से मिंगे भी एस थ.. इन को सादस किया द। दिपय भोग एपी घाग्मि रुपयम्‌ इृदप मे स्थित है सम सासत हु! जाने से थी का च्ास चता दे शर्त पारित भमरू टट् दौर इदप में सरंसप को दया बर दूंसा दै । एस: िपए चूत शाम दब अाचशटरदा है । घन में अति, समय सर एइसा उ थिव सं, । शुद्धिमम सुष्ध को दियए बासना को स्थाग सरों के शिए श्रादश इनना चाहिए । राजा सिद्ध फी प्रिनती फर शौर यद प्रतिशा वारवाकर दि; झपना बीए सिद्ध बारन के उपराग्त पुनः इसी रथान पे यापस जागा पढेंगा। विदा छुआ । न (शेप मगर ) बतेप्रान दशा । हैक नाल ( लेखक प० भदादीर मताद “प्रचुप” फानपुर ) लेसे मापा के ज्ञात में भूगे पढ़ें , सम हैं इमकों तो पु भी सयरदी गई । जिसने दैदा किये यद दोनो जदां, डसकी इमको दे थिज़रुल स्वपरद सदी ॥ फाम फोप ये मोद में दस हैं फंसा, शोग डुद् ने संग दमार बसे । माप रपाथ के थिश में कैस पसे, दुन पुिया बरी कुए भी य्दरदी शुरू । चागाशाप चाट में मात फिर, बरी चाय एुरा घुषिि फू विरे। कमी लाकर दिए दिए रे, रटने शुनन दा कु में कारारइ सही ॥ बम पाने बहाने मि उाग पद, हर नि पंति में गद। बम ये गे दियों से रद, थे भय सूएडाकदुव शवररुं मर; व




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