पाकराज | Pakaraj
श्रेणी : स्वसहायता पुस्तक / Self-help book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम माम । थ
: कांसे का यामन देसने कार सघ प्रसार के पदार्थ खाने फे
काम फा देता है परन्तु तेज झाग पर नहीं ठद्दर सकता फूट
काता है ॥
पत्थर कि यने पाम्र का सी यही हाल है । यदि 'चतुर
कारोगर ऐसा पत्थर छीले कि सब जगह से धरायर है फहीं
साटा पतला न हैः ते पांच सह सकता है परन्त मंहगा शार
; दुष्पाप्य दि। लोहे के यासन में तथा, कढ़ाई, करना, सेंहसी
चिमटे के सिवाय दूसरे पात्र हानिकारक होते हूँ, जहां तक
| दवा फलछी भी लाह की न हानी चाहिये ॥
/ सेना चांदी सवोंपर है परन्तु बहुत ही मेंहगा देने के
! फारण कैसे वपवहार हा सकता है॥
'मिही के बासन निदोप ता ह्वाते हैं परन्तु एक ही बेर के
लिये, क्योंकि इसमें यदद देय हि कि ला चीज इसमें रक््सी
ज्ञाती दि घह चसमें प्रविष्ट है जाती दै श्रार एफ बार के
सिवाय सुनः कान में लाने से रक्से हुए पदार्थ के दूपित कर
देता है इसी लिये इमारे यूवेज लाग इसमें घम्में अघममे का
जय लगा गए हैं ॥
कांच का पात्र की मिही ही के अरावर है परन्त यढ़ा
सैंहगा पहता है इसलिये हमलेागां के लायक नहीं है ॥
रंगे का पात्र भो काम में ्ाता हि श्ार खटाई झादि
नहीं थिगड़ती पर शांच नहीं सह सकता ॥
किस घासम में कान चील रखनी 'चा हिये इसे प्रायः सब
हो जानते हें , इसलिये ग्रन्थ बढ़ने के भम से थिस्तार पृ्यक
। नहीं लिखा ॥ दि
।
गए िएएएएएएएएएए
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