त्याग का संदेश | Tyag Ka Sandesh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
424 KB
कुल पष्ठ :
46
श्रेणी :
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No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)त्याग अनिवार्य है. श्दे
महारानी हममे जरा भी ऊचे नहीं हैँ, तब मैंने महाराजा और महारानी
द्वारा स्वय स्वीकार किया हुआ सर ही लापसे कहा। लौर अगर
ऐसा है तो यहा बैठा हुआ कोई पुष्य या सप्री दूसरे किसी आदमसीसे
ऊची होनेवा दावा बसे कर सवती है? इसलिए में आपसे कहता हु
लि अगर पद मंत्र सत्य हो, और यहा सभामें बैठा हुआ कोई भाई
था बहन यहं मानती हो कि ' अवर्यों ' के प्रदेशमे मदिर अप्ट हो
जाते हैँ, तो में बहूगा कि वह ध्यक्रि सहापाप फरता है। में आापगे
बहता हू कि मदिर-प्रदेशवी घापणाने हमारे सदिरोंके बदककों धोकर
उन्हें पदिप्र बना दिया है।
में चाहा कि जो सत्र मेने अभी बहा है वह हम सद स्त्री
पुष्प और बच्चो हृदयों पर अंकित हो जाय। और जैसा कि में
मामता हू, यदि इसमें हिन्दू ध्मंशा सार था जाता है, वो वह प्रत्येक
मदिरके द्वार पर लिय दिया जाना चाहिये । तब बदा आप यह नदी
मानते कि नगर हम किसीकों इन सदिरोमे जानेंगे रोके, तो हम हर
बदम पर इस मत्रवों झुठदायेंगे * इसलिए क्षगर आरगों इस उदारता+
पूर्ण घोषणाके योग्य सिद्ध होना हो और अगर आप अपने प्रति सया
अपने महाराजके प्रति धफादार रहना चाहते हों, ता आप इस घोपणाश
अन्रोरा और सकी आत्माजा पूर्ण रुपसे पालत बरें। पोयणाय
हारीसम भाइणबोरकें सारे मदिर, जिनके दारेमे एक दार मेने बटा था
कि दे भगदानके निदासथान नही है, भगवानवे निदास बन एयें हैं,
बयोदि धरपूरय माने जानेवाठे विसी भी आइमी अब सिरोंमें जानेते
रोग नदी जायगा। इसरिए भें आशा रखता हू और प्रापना दरदा
हूं हि सारे चादणशौरमें ऐसा एक भी पुरद या हरी नहीं हो,
जो इग बारणस सदिरामे जाना था! दि दे शगाजगे बहिणद
आर अरपूरय सलोगोरे दिए साठ दिये गये है।
हरिजन, देल्नरेन १७; पूरे ०3-४८
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