साधना के स्वर | Sadhana Ke Swar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
708 KB
कुल पष्ठ :
56
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वर ही ईक्वर
भारतीय संगीत ग्पने घाव है एक प्यापक भावाय रखता है।
मानव जीवन मै पूर्णतया स्बंधित है। यह विषय मात्र बलिप्त
गोरेजन हेतु हो नहीं है झपितु लोक बल्याणा एवं मोक्ष प्राप्ति को
नष्ट साधन भो है । श्रेष्ठ मद्दारमा नाद-ब्रह्म की साधवा कर मवसांगर
चतर्ते हैं । बॉदक काल से यह सान्यठा चली का. रही है कि
व बात्मानिन्द एवं परमातिम्द का सर्वेक्षेष्ठ हाथ है ।
श्रहति के क्णानरुणा से अब मधुर नाद का श्रीत बहता हद
हैं बंप डिरला हो होगर जो झपनी सुब-बुभ न सो मैंठे । वास्तव में
गोत का आनन्द तभी धाप्त हो पाता है जब साधक को स्वर लहरों
मा को छूतो हो । मारतोथ संगीत में मद्ुव शक्ति है को पशुलपक्षी
कै की बनी घोर सहज से हो माकदिव कर लेदोी है । ऐस संगीत
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