सुघड़ दर्जिन | Sughad Darjin

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Sughad Darjin by ठाकुरप्रसाद खत्री - Thakurprasad Khatri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पदिता अध्याय 1 ह मनामिका के नाजुन पर रक्‍्खे कि शिपमें सूद को नाफ यदि गड़े भी ता नायसून पर । चिंघ् नें० ९ कपड़े फो नायून पर रखकर शीना 1 'दृद्दिने हाथ से परोई हुई सूद के पान फर सूद की नाक इस तरह तिरठी फपड़े में हाले कि मूदें को नाक चांए हाय में न चुने जौर कपड़े के तीन, चार वा पांच चित्र सें० २ कपड़ा हाथ पर रखना शौर शंगुश्ताने थे सूद डालना । सूतां के नोचे से हकर कपड़े के दूसरी ओर निकल आधे 1 भष झंगुश्ताने का मूड के सके के दिरे पर झटका दा पथ




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