श्री आराधनासार कथाकोष प्रारम्भः | Shree Aradhanasar Kathakosh Prarambh

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Shree Aradhanasar Kathakosh Prarambh by स्वामी सारदानन्द - Swami Sardanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जलणण सवा अरसंधललरममद अऊजमररजररूऊऊर पकाने किकनफामनमंजकनकायादुनकलगडाककरन्न्यू श्५ ज्ंग्ठे झो. अकलंव्यदेव व्दो कथा ड०्कै- गए एएएए टन... द्ग्द्भा द्ध ररू को जीतकर, मेरी बांढा सार 1 पूरे रथयात्रा करे, इसही नगर सकार ॥ ७३ ॥ इस लाधक नर कांन ६, सा काइदय ससवाल । तब मानव कहत कप, सुन उुन्ना सुशखान ७४ चौपाईं सान्याखेट नगर शुभ जान । तामें पेडित है लुधघवान ॥। इसको जीतन समरथ होय । यामे संशय नाही कोय ।७९४)॥। सदन स॒न्दरी बच सुन तेह । कहदत भई सनये गुरु येह ॥ कोप सहित जो सप कराल । डसन दह्ेत यो तत्काल ॥७६॥। दूर देश में गारुड होय । तो बह सर जीवें किस सोय ॥। ऐसा कह प्रभु पूजन करी । जिन यह में परतिज्ञा घरी ।७७। संघश्नी पापी है सोय । उसको मत बिध्वंसे कोय ॥ परबवत रथ यात्रा करूं । जिन प्रभावना बह बिस्तरूं ॥७८ा। तो में भोजन करूं ललाम । नातर प्राण तज़ं इसठाम ॥ एसी बिध परतिज्ञा घार । कायोत्सग खडा एतहबार ॥७-॥। भ्रीजिन श्रतिम्ा आगे सार । नसोकार शभ मंत्र उचार ॥ मेरुचूलका वत अति घीर । निश्चल ऊभी मे गंसीर ॥. ८० ॥ पीछे अध रात्रि जब गई । याके पुन्य प्रभावे सडदी ॥। देवी चक्रेस्वरी उदार । तिस आसन कम्पो तिहबार ॥८१॥ अवध ज्ञान ते जान तरन्त । तवही आई दहपित चंत ॥। कहत भट्ट एसे बच ताम । सदन सुन्दरा सुन झसरास नर | तेसे.मन जिन चरन मभार । ताते किंचित भय नाहे धार ॥ होत प्रमात समय इस थान । आवेगा अकलंक महान ॥ ८ ॥ | संघश्नी मद मर्दन करे । जैनधर्म वह विधि विस्तेरे । । नकनकाका शी की नाक फकेगएयं _ फ नल दर वो न




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