कहानियाँ | Kahaniyan
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
314
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( रे५ )
किन्तु भावुकता के मांगलिक रूप को हम कभी भुला नहीं
सकते । क्योंकि मनुष्य में वही एक ऐसी तीघ्र
कहानी में मावु- शक्ति होती है, जो उसके चरित्र को महान
कता का शिव रूप बनाती है । संसार में जितने थी महापुरुष हुए
हैं, सब सें किसी-न-किसी मात्रा में सावुकता
झवश्य रही है। यह भावुऊता ही दो है कि हम दूसरों को
अत्यधिक पीड़ा में देखकर रो पढ़ते हैं ! महान बविचारक णीता
के भगवान छष्ण उस ससय कितनी भावुकता में लीन हो गये थे,
जब उन्होंने अस्त्र अहण न करने दी प्रतिज्ञा भूलकर, महाभारत
की रणभूसि में, भीष्म पर प्रहार करने के लिए, एक टूटे रथ का
पहिया ही उठाकर, उन पर दे सारने की चेष्टा की थी !
भावुकता मनुष्य की दुबलता होकर भी उसकी श्त्यन्त
सुकुमार भावना होती है । वह जिस शोर मुड़ जाती है; उसी
ओर एक विशेषता और विचिन्नता उत्पन्न कर देती है। “उसने
कहा था” कहानी में लददनाविंद के निम्नांकित चरित्र सें जो भाघु-
कता मालकती दै उससे उसकी चरित्र-खष्टि कितनी सजीव हो
जाती है !
“तेरी कुड़साई हो गई ”
“हों, हो गईं ।
कब पु ड््त
“कल--देखते नहीं, रेशम से कढ़ा हुआ सालू ।”'
कहकर लड़की भाग गईं ! लड़के ने घर की राह ली । रास्ते
में पक लड़के को मोरी में ढकेल दिया ' एक छावड़ीवाले की
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