श्री लोंकाशाह मत-समर्थन | Sri Lonkashah Mat-Samarthan

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Unknown by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. (६) श्रीमान रतनलाल दोशी सैलाना वाला शास्त्रीय पद्धति- एप स्थानकवासी समाजनी जे झ्रपूवे सेवा चजावी रदेल छे, ते श्रति प्रशेसनीय छे, ने पएना माटे मारा छन्तःकरणना असिनन्दन छे । घर घर्षो पद्देलां प्रोसद्ध चक्का थीमान्‌ चारिघेविजयजी * महाराजे मांगरोल बंदरे जनसमूद वच्चे व्याख्यान करतां || भर कहेलु के श्वेतास्पर जैन समाजना वे विभाग स्थानकचासी ने देरावासी १०० मां ६८ चावतोंमां एक छे, मात्र वे वाचतों मांज विचारसेद छे तो ६८ चावत ने गोंग॒॒ वनावी मात्र ये बीावतों मादे लडी मरे छे ते सरेखर सुर्खाई छे, तेमनु श्रा केहेचु हाल वंधारे चरितार्थ थ्तु दोय तेम जोवाय छे 1 डुकामां श्रीयुत रतनलाल दोशीने तेमनी स्थानकथचासी संमाजनी, श्रप्रतिप्त सेवा माटे फरीवार झभिनन्दन श्ापी पोते आदरेल सेवा यज्ञ ने सफल करवा, तेमां श्रावता विध्ञो- थी न डरा सूचना करी स्थानकवासी समाजना मुनिवगे झने धावेक घरगेने छाश्रह भरी विननती करूं छु के-श्री रतनलाल दोशी ने चनती सेवा कांयेमां सद्दाय करवी, अने चचचु नदीं तो छेचट स्थानकवासी जेनघर्मनी '्रभिवर्घा श्रर्थे तेनी सत्यता अर्थ तेमना तरफथी जे जे साहित्य प्रकट थाय तेनो वघुमां वघु फेलादो करवो, एक पण गाम पु न होघुं जोइए के उरयां ए दोशीनां लेखेल साहित्यनी २-५ नकलो न होय । हिंदीमां होथ तो तेनो गुजरातीमां झनुवाद करीने तेनो प्रचार करवो । श्री रतनलाल दोशी ने तेमना समाज सेचानां कायेमां साधन, संयोग, समय, 'शक्सित ए सबैनी ,पूरनी श्रन्नुकूलता मले पएवी झा श्रन्तरनी श्रमिलाषा छे | 3/ शान्ति !




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